प्रिमेच्योर मुकदमा दाखिल करने की गलती का वादी को भुगतना पड़ा खामियाजा, अदालत ने चैक डिसऑनर आरोपी को बरी करने के दिये आदेश

न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा 04 मार्च ।

चैक डिसऑनर होने के मामले में आरोपित प्रमोद कुमार पुत्र रामसेवक निवासी पुष्पांजलि कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, सिकन्दरा बोदला रोड जिला आगरा को वादी द्वारा प्रिमेच्योर मुकदमा प्रस्तुत करने पर विशेष न्यायालय एनआई एक्ट के पीठासीन अधिकारी माननीय सत्येंद्र सिंह वीरवान ने बरी करने के आदेश दिये।

वादी मुकदमा सतीशचन्द निवासी डिफेंस पैलेस, सेवला, थाना सदर का आरोप था कि आरोपी बैंक द्वारा नीलाम की गई गाड़ियों की खरीद फरोख्त का कार्य करता था।

उसका सेक्टर 9 सिकन्दरा पर इटरवी कार बाजार के नाम से प्रतिष्ठान है।

वादी ने एक वर्ष पूर्व एक्सयूवी एवं ब्रीजा कार खरीदने का 8 लाख रुपये मे आरोपी से सौदा किया था। कार ना देने पर वादी के रुपयें मांगने पर आरोपी ने 5 सितम्बर 20 को चार-चार लाख रुपये के दो चैक दिये थे। चैक डिसऑनर होने पर मुकदमा प्रस्तुत किया गया था।

आरोपी के अधिवक्ता विराट कृष्ण सक्सेना द्वारा तर्क दिये गये कि 138 एनआई एक्ट के मुकदमें हेतु विधिक प्राविधान हैं कि नोटिस प्रेषित करने के बाद भुगतान नहीं मिलने पर 15 दिन की अवधि मे ही मुकदमा दायर किया जा सकता हैं ।

वादी द्वारा प्रिमेच्योर मुकदमा दायर किया हैं ।

आरोपी के अधिवक्ता के तर्क पर विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी माननीय सतेंद्र सिंह वीर वान ने मुकदमा खारिज कर आरोपी को बरी करने के आदेश दिये।

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विवेक कुमार जैन
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