आगरा:
पुलिस की लापरवाही के कारण चरस बरामदगी के एक मामले में दो आरोपी बरी हो गए हैं। कोर्ट ने पुलिस के गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास, स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और बरामद माल को समय पर जांच के लिए न भेजने के आधार पर आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया।
यह मामला 4 जनवरी 2022 का है, जब डौकी थाना पुलिस ने दानवीर सिंह और गंगा प्रसाद को आधा किलो चरस के साथ गिरफ्तार करने का दावा किया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि दोनों को जुआ खेलते समय गिरफ्तार किया गया और तलाशी लेने पर उनके पास से 500 ग्राम चरस बरामद हुई।
मगर विशेष न्यायाधीश, एनडीपीएस एक्ट की अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल उठे।
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पुलिस की खामियां जो बनी आरोपियों की रिहाई की वजह
* स्वतंत्र गवाहों का अभाव: पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों को जुआ खेलते समय पकड़ा गया था, लेकिन पुलिस अपनी कार्रवाई के दौरान किसी भी स्वतंत्र गवाह को पेश नहीं कर पाई।
* गवाहों के बयानों में विरोधाभास: पुलिस अधिकारियों, जिनमें उप निरीक्षक सर्वेश कुमार, हैड कांस्टेबल पुष्पेंद्र सिंह, उप निरीक्षक राजेंद्र सिंह और उप निरीक्षक सुनील कुमार सिंह शामिल थे, के बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए गए, जिससे उनके दावे पर संदेह पैदा हुआ।
* माल को जांच के लिए भेजने में देरी: एनडीपीएस एक्ट के तहत, बरामद माल को 72 घंटे के भीतर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाना अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में माल को 27 दिन बाद भेजा गया।
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* मालखाना रजिस्टर पेश नहीं किया गया: पुलिस अदालत में मालखाना रजिस्टर पेश कर यह साबित नहीं कर पाई कि जब्त किया गया सामान सही से रिकॉर्ड किया गया था।
इन सभी कमियों के मद्देनजर, आरोपियों के वकील जय पाल कुशवाह के तर्कों को स्वीकार करते हुए, विशेष न्यायाधीश ने दानवीर सिंह और गंगा प्रसाद को बरी करने का आदेश दिया।
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