कृषि भूमि के भविष्य में कामर्शियल मूल्य के आधार पर स्टाम्प कमी की वसूली कार्यवाही रद्द

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कोर्ट ने जमा की गई राशि एक माह में मय ब्याज वापसी का निर्देश

आगरा /प्रयागराज 13 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कृषि व रिहायशी भूमि के बैनामे पर भविष्य में कामर्शियल भूमि की संभावना के आधार पर स्टाम्प वसूली कार्यवाही नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने बकाया स्टांप पेनल्टी व ब्याज की वसूली आदेश को रद्द कर दिया है और एक माह में चार फीसदी ब्याज सहित जमा राशि वापस करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अलीगढ़ के निवासी अनुपम वार्ष्णेय व चार अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है।

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याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि याचियों ने जिलाधिकारी अलीगढ़ द्वारा निर्धारित सर्किल दर पर स्टाम्प शुल्क देकर कृषि व रिहायशी जमीन का बैनामा कराया।

निरीक्षण रिपोर्ट पर याची को स्टांप कम जमा करने की नोटिस दी गई।जिसपर याची ने आपत्ति की कि उसकी गैरमौजूदगी में निरीक्षण किया गया है। जमीन क़ृषि भूमि है।

नियमानुसार स्टांप जमा किया गया है।मौके का मुआयना कर रिपोर्ट दी जाय। किंतु इसे न मानते हुए याचियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। जिसके खिलाफ अपील में आधार लिया गया कि नियम 7(3)(सी)का पालन नहीं किया गया है।

फिर भी बिना विचारे अपील खारिज कर दी गई। जिसपर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।

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कोर्ट ने कहा कि

नियम का पालन न करने के मुद्दे पर अपीलीय अधिकारी ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है।

हालांकि सरकारी वकील का तर्क था कि जमीन का मूल्याकंन कामर्शियल है। इसलिए कार्यवाही सही है।

कोर्ट ने तर्क को सही नहीं माना और आदेश को कानूनी के विपरीत मानते हुए रद्द कर दिया।

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मनीष वर्मा
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