पद्मश्री पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद के.के. मोहम्मद को बनाया गया है मुख्य विपक्षी
न्यायालय द्वारा नोटिस जारी,अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को
आगरा 11 सितंबर।
आगरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट संख्या-1, माननीय अमर्शा श्रीवास्तव के यहां बुधवार को फतेहपुर सीकरी को विजयपुर सीकरी बताते हुए एक वाद दायर किया गया। जिसमे पद्मश्री पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद के.के. मोहम्मद को मुख्य विपक्षी बनाया गया है।
न्यायालय ने नोटिस जारी करने का आदेश करते हुए केस की सुनवाई की अगली तिथि 7 अक्टूबर नियत की है।
यह वाद अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह दायर किया। वादी अधिवक्ता ने इस संबध में बताया कि फतेहपुर सीकरी मूल रूप से विजयपुर सीकरी है। इसे सिकरवार वंशी राजाओं द्वारा बसाया गया था।
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उन्होंने बताया कि अपनी रिसर्च करने के दौरान पाया कि वर्ष 1978-1988 के बीच भारत सरकार के शिक्षा मंत्री नुरुल हसन ने एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के अधीन फतेहपुर सीकरी का उत्खनन व पुरातात्विक अवशेषों के अध्ययन करवाया। यह उत्खनन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा किया गया।
जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आर.सी.गौड़ व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के डब्लू. एच. सिद्दीकी के निर्देशन में हुआथा। लेकिन 11 वर्ष तक चले उत्खनन में क्या-क्या मिला इसकी रिपोर्ट आजतक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रकाशित नहीं की गई ?
श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 1975 ई में ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर एस.ए.ए. रिजवी व वी.जी. ए. फिन ने फतेहपुर सीकरी पर एक पुस्तक प्रकाशित की उसके बाद ही नुरुल हसन ने फतेहपुर सीकरी का उत्खनन करवाया। इन्ही वी.जी.ए.फिन को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पुरातात्विक महत्व के सोने,चांदी व ताँबें के सिक्कों की तस्करी करते हुए पकड़ा गया था। जिसमें जेल भी जाना पड़ा था।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया बदायूनीं ने अपनी पुस्तक “मुंतखिब उल तवारीख़” में फतेहपुर सीकरी में स्थित अनूपतालाब का निर्माण अकबर के द्वारा पूरा करना बताया है। अनूपतालाब के नीचे के कमरे को इबादतखाना बताया है। वहीं एस.ए.ए. रिजवी ने इबादतखाना को जामा मस्जिद व जोधबाई के महल के बीच स्थित बताया जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.डी.वी. शर्मा ने इसे दिवान-ए-खास के साथ में बताया है।
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वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद के.के. मोहम्मद ने जामा मस्जिद के पीछे अकबर का इबादतखाना नाम से नए स्मारक का निर्माण किया। कानूनन यह एक अपराध है। भेद खुलने पर पुरातत्व विभाग द्वारा इसे तोड़ा गया जिस कारण उन्होंने अपने केस मे के.के. मोहम्मद को विपक्षी बनाया है।
श्री सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग व इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च दोनों के पास अकबर जोधाबाई के विवाह के प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
नुरुल हसन, एस.ए.ए. रिजवी, वी.जी.ए. फिन, आर.सी. गौड़, डब्लू.एच. सिद्दीकी व के. के. मोहम्मद ने मिलकर फतेहपुर सीकरी का इस्लामीकरण किया है । 11 वर्ष चले उत्खनन की रिपोर्ट आज तक प्रकाशित नहीं की गई। जबकि वी.जी.ए. फिन को पुरातात्विक महत्व के सिक्कों की तस्करी करते पकड़ा गया जो कि स्वयं में यह सिद्ध करता है कि फतेहपुर सीकरी का जो इतिहास अभी जनमानस को पता है वह सत्य नहीं है।
डॉ डी.वी. शर्मा के कार्यकाल के दौरान फतेहपुर सीकरी के वीर छबीली टीले की खुदाई मे हिन्दू-जैन-बौद्ध धर्मो के प्रमाण मिले जोकि 1000 ई के लगभग के है। वादी अधिवक्ता ने बताया कि इस केस के वादपत्र के 248 पन्नों में उन्होंने फतेहपुर सीकरी के सत्य इतिहास को लिखा है। उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि फतेहपुर सीकरी को क्षत्रिय हिन्दू सिकरवार वंशी राजाओ द्वारा बसाया गया था।जिसका मूलनाम विजयपुर सीकरी था।
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जिस नाम को सबसे पहले बाबर ने बदला। फतेहपुर सीकरी किले परिसर में मरियम की कोठी नाम से भवन है जिसकी दीवार पर शिवलिंग खुदा है और उसमें राम-कृष्ण-हनुमान के चित्र थे। यदि पुरातत्व विभाग के पास अकबर-जोधाबाई के विवाह के प्रमाण नहीं है तो किस आधार पर फतेहपुर सीकरी में जोधबाई का महल नाम से संरक्षित किया है और यदि जोधबाई ही मरियम उज़ जमानी थी तो आगरा के सिकंदरा में मरियम का मकबरा स्थित है।इसके साथ आगरा के अर्जुन नगर में जोधबाई की छतरी स्थित है।
एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार सिर्फ एक जगह पर हो सकता है दो जगह पर नहीं। मरियम का मकबरा और जोधबाई की छतरी दोनों ही पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित स्मारक है ।
अकबर और जोधाबाई के विवाह का कोई प्रमाण न होने के बाद भी इसके बाद भी फतेहपुर सीकरी टूरिस्ट एसोसिएशन पर्यटकों को गलत सूचना देकर भ्रमित करते है।
वाद के अनुसार फतेहपुर सीकरी में अनूप तालाब को सिकरवार वंशी राजा अनूप के नाम पर राजा किशन जू ने बनवाया था न कि अकबर ने। फतेहपुर सीकरी के भवनों में पुरातत्व विभाग को बाबर और अलाउद्दीन खिलजी के शिलालेख मिले है जिनका उल्लेख प्रस्तुत वाद में किया है।
बुधवार को प्रस्तुत वाद में केस में चार वादी है जिनमें अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट एवम क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट हैं।
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जिनके विरुद्ध वाद दाखिल किया गया है उसमे के.के.मोहम्मद तथा टूरिस्ट एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी शामिल है।
इस वाद में वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता एस.पी. सिंह सिकरवार एवम वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश सिकरवार पैरवी कर रहे है।
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