ट्रेन यात्रा के दौरान दुर्घटना में दोनों टाँगे गवानें वाले युवक को मिला इंसाफ़। जिला उपभोक्ता प्रतितोष प्रथम अदालत ने बीमा कंपनी को दिया

न्यायालय मुख्य सुर्खियां
51 लाख रुपए 6% ब्याज सहित अदा करने का आदेश

आगरा 20 मार्च ।

ट्रेन से यात्रा करते समय असमय ही 35 वर्षीय युवक को अपनी दोनों टांगों से हाथ धोना पड़ा । लेकिन निष्ठुर बीमा कंपनी ने उसका क्लेम नियमों और शर्तों का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया। पीड़ित ने उपभोक्ता आयोग की शरण ली जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम ने युवक को न्याय देते हुए बीमा कंपनी को 51 लाख रुपए 6% ब्याज सहित अदा करने के किए आदेश दिए।

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आगरा जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार एवं सदस्य राजीव सिंह ने अपने एक आदेश में निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी गुड़गांव हरियाणा को पीड़ित वादी प्रांजल गुप्ता पुत्र सुरेश चंद गुप्ता निवासी चंदबार रोड रामनगर फिरोजाबाद हाल निवासी बसेरा रेजिडेंसी दयालबाग आगरा को 51 लाख रुपए 6% ब्याज सहित अदा करने के आदेश किए हैं । आयोग ने साथ ही एक लाख रुपये मानसिक पीड़ा बतौर तथा वाद व्यय के रूप में ₹20,000 भी अदा करने के आदेश किये हैं।

मामले के अनुसार पीड़ित वादी प्रांजल गुप्ता निवासी बसेरा रेजिडेंसी दयालबाग आगरा ने आयोग में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि वह कई बैंकों में पैसा ट्रांसफर करने का कार्य करता है । इस कार्य से वह प्रतिमाह 40,000/- से 80,000/- रुपए प्रतिमाह कमाता हैं। उसने निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी गुड़गांव हरियाणा से एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी दिनांक 29 मार्च 19 को ₹10,00,000/- की पॉलिसी ली थी जो 1 वर्ष के लिए 28 मार्च 2020 तक के लिए मान्य थी।

पॉलिसी के लिए उन्होंने किस्त के रूप में 10,001/- रुपए वार्षिक प्रीमियम भी अदा किया था। पॉलिसी की शर्त के अनुसार आकस्मिक दुर्घटना होने पर ₹62 लाख 5000 का क्लेम दिया जाना निश्चित था । दिनांक 27 दिसंबर 2019 को वादी दिल्ली से कालिंदी एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे ।

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तभी प्रातः करीब 3:00 बजे हाथरस जंक्शन से आगे पूरा स्टेशन के पास वाह किसी तरह ट्रेन से नीचे गिर गए।जिसमें दोनों टांगें रेल की पटरी के नीचे आ गई और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई।वादी ने किसी तरह मोबाइल से पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया । इस दौरान कई अस्पतालों में निरंतर इलाज चला। जिसमें ₹ 1 लाख से ऊपर खर्च हुआ । लेकिन फिर भी डॉक्टर को सेप्टिक फैलने के आशंका से दोनों टांगे घुटने से नीचे काटनी पड़ी। वादी ने बीमा कंपनी की सारी औपचारिकता पूर्ण करते हुए क्लेम मांगा ।

लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहकर क्लेम निरस्त कर दिया कि वादी की कुछ और अन्य पॉलिसी चल रही है जो उन्होंने छिपाई है।और गलत आई टी आर को आधार बनाते हुए क्लेम निरस्त कर दिया था ।पीड़ित वादी के केस की पैरवी एडवोकेट कायम सिंह द्वारा की गई ।

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विवेक कुमार जैन
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