तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट जांच की मांग वाली याचिकाओं पर 30 सितंबर को करेगा सुनवाई

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सुदर्शन न्यूज़ टीवी के संपादक सुरेश खंडेराव चव्हाणके,हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव,बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी,राज्यसभा सांसद और पूर्व टीटीडी अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत और आध्यात्मिक प्रवचनकर्ता दुष्यंत श्रीधर ने दाखिल की है याचिकाएं

आगरा / नई दिल्ली 28 सितंबर।

सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुमाला तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में मिलावटी घी के इस्तेमाल के संबंध में टीडीपी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया गया।

संक्षेप में बता दें कि यह विवाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा सार्वजनिक की गई लैब रिपोर्ट से उत्पन्न हुआ है, जिसके अनुसार, पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान लड्डू बनाने के लिए तिरुपति मंदिर को दिए गए घी के नमूनों में विदेशी वसा (जिसमें गोमांस की चर्बी और मछली का तेल शामिल है) पाई गई थी।

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अब तक लगभग 5 याचिकाएं दायर की गई, जिनमें आरोपों की कोर्ट की निगरानी में जांच और सरकारी निकायों द्वारा प्रबंधित हिंदू मंदिरों में अधिक जवाबदेही सहित राहत की मांग की गई।

(I) सुरेश खंडेराव चव्हाणके की याचिका

सुदर्शन न्यूज़ टीवी के संपादक सुरेश खंडेराव चव्हाणके ने याचिका दायर की, जिसमें इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या रिटायर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा करने की मांग की गई।

उनका तर्क है कि प्रसाद में मांसाहारी सामग्री का उपयोग संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत भक्तों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जो धर्म की स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों में धार्मिक संप्रदायों को अपने मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है।

अपनी याचिका के माध्यम से चव्हाणके ने मंदिरों और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन की देखरेख के लिए रिटायर सुप्रीम कोर्ट के जज या हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति की भी मांग की, जिससे पारदर्शिता और धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

(II) सुरजीत सिंह यादव की याचिका

हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दूसरी याचिका दायर की, जिसमें लड्डू में मिलावटी घी के कथित उपयोग की विशेष जांच दल (एसआई टी) द्वारा जांच की मांग की गई।

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यादव का दावा है कि लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल के कारण तिरुपति बालाजी के हिंदू भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं।

(III) डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका

सीनियर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तीसरी याचिका दायर कर न्यायालय की निगरानी वाली समिति से जांच की मांग की। समिति की नियुक्ति के लिए प्रार्थना करने के अलावा, स्वामी ने संबंधित लैब द्वारा इस्तेमाल किए गए घी के सैंपल (इसके स्रोत सहित) की फोरेंसिक जांच पर अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट के लिए निर्देश मांगा।

स्वामी के अनुसार, इस मुद्दे को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के दायरे में निपटाया जाना चाहिए था। हालांकि, इसका राजनीतिकरण किया गया। इसे दुष्प्रचार का रूप दिया गया, जिससे भगवान वेंकटेश्वर के करोड़ों भक्तों को गहरी ठेस पहुंची।

स्वामी का यह भी कहना है कि अगर प्रसादम/लड्डू बनाने के लिए आपूर्ति की गई आपूर्ति की गुणवत्ता निर्धारित मानक से कम है तो सामग्री को आपूर्तिकर्ता को इस शर्त के साथ वापस कर दिया जाता है कि वे निर्धारित मानदंडों का पालन करेंगे।

स्वामी ने अपनी याचिका में कुछ ऐसे प्रश्न शामिल किए, जिन पर प्रस्तावित समिति विचार कर सकती है:

  • क्या सैंपल लैब जांच एजेंसी द्वारा लिया गया/खरीदा गया था ?
  • क्या घी का सैंपल प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी से लिया गया था या सैंपल के खारिज किए गए लॉट से ?
  • उक्त मिलावटी घी की खरीद में किस आपूर्तिकर्ता का हाथ था ?
  • क्या उक्त रिपोर्ट में गलत सकारात्मक परिणाम की गुंजाइश है ?
  • प्रतिवादी नंबर 3 (टीटीडी ) के आंतरिक जांच के बाद उक्त घी कब खरीदा गया या खारिज किया गया ?
  • क्या ऐसी रिपोर्ट जारी करने में किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की अनुमति होनी चाहिए और टीटीडी को नहीं ?

(IV) वाई.वी. सुब्बा रेड्डी की याचिका

चौथी याचिका राज्यसभा सांसद और पूर्व टीटीडी अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी की है, जो मिलावट के आरोपों की न्यायालय की निगरानी वाली समिति या न्यायालय के रिटायर जज द्वारा डोमेन विशेषज्ञों के साथ स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं।

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उपर्युक्त के अलावा, रेड्डी ने प्रतिवादी-अधिकारियों को “लैब रिपोर्ट की विस्तृत फोरेंसिक रिपोर्ट और उस रिपोर्ट में नमूने के रूप में इस्तेमाल किए गए घी के स्रोत और सभी अतिरिक्त विवरणों के साथ प्रीक्योरमेंट के स्रोत” के बारे में एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

पूर्व टीटीडी अध्यक्ष का कहना है कि तिरुमाला में मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, जैसे ही कोई गाय का घी ले जाने वाला वाहन मंदिर परिसर/परिसर में पहुंचता है, संबंधित अधिकारी उक्त टैंक/वाहन से नमूना लेता है और बुनियादी परीक्षण करता है। यदि परीक्षण रिपोर्ट निविदा दस्तावेज में दिए गए विनिर्देशों से मेल खाती है तो केवल उक्त गाय के घी का उपयोग लड्डू प्रसादम सहित प्रसादम की तैयारी के लिए किया जाएगा, अन्यथा उक्त वाहन को बिना किसी छूट के वापस भेज दिया जाता है।

याचिका में कहा गया,

“इसलिए यह कहना या आरोप लगाना गलत है कि भगवान वेंकटेश्वर के लिए किसी भी प्रसाद को तैयार करने के लिए इस तरह के घी का इस्तेमाल किया जाता है।”

याचिका में आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू को आरोपी बनाया गया। कहा गया कि तिरुमाला लड्डू प्रसादम में पशु वसा के इस्तेमाल पर उनकी टिप्पणी ने भगवान वेंकटेश्वर के बड़ी संख्या में भक्तों की भावनाओं को आहत किया। यह भी आरोप लगाया गया है कि टीटीडी और आंध्र के सीएम के बयानों में विसंगति है। अगर जुलाई, 2024 में लैब रिपोर्ट प्राप्त की गई थी तो राज्य सरकार 2 महीने से अधिक समय तक चुप रही।

(V) डॉ. विक्रम संपत और दुष्यंत श्रीधर द्वारा याचिका पांचवीं याचिका

इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत और आध्यात्मिक प्रवचनकर्ता दुष्यंत श्रीधर द्वारा “मंदिरों पर सरकारी/नौकरशाही नियंत्रण को खत्म करने” के लिए दायर की गई। दोनों ने सरकारी निकायों द्वारा प्रबंधित हिंदू मंदिरों में जवाबदेही स्थापित करने की मांग की।

सुब्रमण्यम स्वामी, वाई.वी. सुब्बा रेड्डी और विक्रम संपत द्वारा दायर याचिकाएं सोमवार को सूचीबद्ध होंगी।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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