आगरा / प्रयागराज 24 सितंबर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नौकरी के कारण यदि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो इसे परित्याग करना नहीं माना जा सकता और इस आधार पर पति की तलाक की अर्जी का परिवार अदालत कानपुर नगर द्वारा खारिज किये जाने में कोई अवैधानिकता नहीं है।
Also Read – कानपुर बिकरू कांड: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपी चौकी इंचार्ज के.के.शर्मा की ज़मानत तीसरी बार की खारिज़
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.डी. सिंह तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने अर्विंद सिंह सेंगर बनाम श्रीमती प्रभा सिंह की अपील को खारिज करते हुए दिया है।
बता दें कि दोनों की शादी 1999 में हुई थी। वर्ष 2000 में एक बच्चा भी पैदा हुआ। पति झांसी में लोकों पायलट है और पत्नी औरैया में सहायक अध्यापिका है।
पति ने वर्ष 2004 में वैवाहिक प्रतिस्थापन अर्जी दी और एकपक्षीय आदेश ले लिया किन्तु पत्नी की अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने वर्ष 2006 में एकपक्षीय आदेश रद्द कर दिया। तो पति ने अर्जी वापस ले ली।
Also Read – इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज 24 सितंबर को होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाइयां
इसके बाद पति ने तलाक का केस दायर किया। पत्नी पर परित्याग व क्रूरता का आरोप लगाया। पत्नी ने कहा 2003 में जब वह बीमार थी तो उसके पति ने ही प्रधानाध्यापक से मिलकर मेडिकल छुट्टी स्वीकृत कराई थी और उसका इलाज कराया था।
इस आधार पर परिवार अदालत ने यह मानने से अस्वीकार कर दिया कि पत्नी ने पति को छोड़ दिया है।
Also Read – उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं के काम की खबर
पति को मालूम था कि पत्नी नौकरी पाने का प्रयास कर रही थी और सहायक अध्यापिका बन गई। इसलिए परिवार अदालत का तलाक मंजूर करने से इंकार करने का आदेश सही है।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
- इलाहाबाद हाईकोर्ट से चंद्रशेखर आजाद को राहत, सहारनपुर कोर्ट के डिस्चार्ज अर्जी खारिज करने के फैसले को किया रद्द - July 26, 2025
- निजी अस्पताल मरीजों को ‘एटीएम’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट - July 26, 2025
- टेलीविजन, इंटरनेट और सोशल मीडिया किशोरों की मासूमियत छीन रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट - July 26, 2025