कोर्ट ने कहा आपराधिक इतिहास को देखते हुए नहीं दी जा सकती जमानत
आगरा /प्रयागराज ८ अप्रैल ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा भुगत रहे 21 मामलों की आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले हत्या आरोपी अभियुक्त सूवेदार सिंह की दूसरी जमानत अर्जी भी खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति अशुतोष श्रीवास्तव की एकल पीठ ने कहा कि अभियुक्त का लंबा आपराधिक इतिहास है उसे राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।
अभियुक्त की ओर से अधिवक्तागण हरिवंश सिंह एवं वीरभद्र सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि सह अभियुक्त विशाल सिंह एवं सत्य प्रकाश सिंह को जमानत मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त गवाहों के बयानों में विरोधाभास है। चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है, उसपर संज्ञान लिया जा चुका है, किंतु अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और अभियुक्त पिछले 15 माह से जेल में निरुद्ध है।
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शिकायतकर्ता के अधिवक्ता शेषाद्रि त्रिवेदी ने कहा कि यह अर्जी लगभग उन्हीं आधारों पर पुनः दायर की गई है, जिन्हें पहले खारिज किया जा चुका है। अभियुक्त की सह अभियुक्तों से कोई समानता नहीं है क्योंकि अभियुक्त एक दागी और आदतन अपराधी है, जिसकी 21 मामलों की आपराधिक पृष्ठभूमि है।
इतना ही नहीं, वर्ष 2012 में सरधना थाने में दर्ज हत्या के एक मामले में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।उपरोक्त तथ्यों पर विचार करते हुए न्यायालय ने पाया कि अभियुक्त की आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए उसे जमानत देने का कोई औचित्य नहीं बनता। खुटहन में वर्ष 2024 में अधिवक्ता पदमाकर उपाध्याय द्वारा एफआईआर दर्ज कराया गया जिसमें अपराध संख्या 18/2024, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 323, 504, 506, 307 व 325 के तहत अभियोग पंजीकृत है।
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