सोशल मीडिया का दुरुपयोग फैशन बन गया है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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आगरा/प्रयागराज: २ जुलाई ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय सेना के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति को जमानत देने से इंकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग ‘कुछ लोगों के समूहों के बीच फैशन’ बन गया है।

न्यायमूर्ति देशवाल ने जोर देकर कहा कि संविधान द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ऐसे कृत्यों तक सीमित नहीं है जो उच्च गणमान्य व्यक्तियों का अपमान करते हैं और नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा करते हैं।

उन्होंने कहा,

“उच्च प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाकर, ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो लोगों के बीच वैमनस्य और घृणा पैदा करती है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना ‘कुछ लोगों के समूहों के बीच फैशन’ बन गया है।”

कोर्ट ने आगे कहा कि भले ही हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री, भारतीय सेना और उसके अधिकारियों के प्रति असम्मानजनक वीडियो और अन्य पोस्ट करने की अनुमति नहीं देती है।

ऐसी पोस्ट एक ओर तो भारत के लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करती हैं और दूसरी ओर अलगाववाद को बढ़ावा देने तथा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के दायरे में आती हैं।

यह मामला हाथरस के सांसी थाने में अशरफ खान उर्फ निसरत के खिलाफ धारा 152 और 197 बीएनएस के तहत दर्ज किया गया था। आरोप है कि उसने भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव के दौरान अपने फेसबुक पेज पर संपादित वीडियो अपलोड किए थे।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपित ने ऐसी सामग्री पोस्ट की जिसमें प्रधानमंत्री को एक गधे के बगल में चलते हुए, विमान वाली गाड़ी चलाते हुए और पाकिस्तान से माफी मांगते हुए दिखाया गया था।

पोस्ट में विंग कमांडर व्योमिका सिंह को पाकिस्तान के सेना प्रमुख के साथ बैठे हुए भी दर्शाया गया था। इसके अलावा, पोस्ट में यह भी उल्लेख था कि प्रधानमंत्री पाकिस्तानी मिसाइल से खुद को बचाने के लिए भाग रहे थे।

आरोपित ने एक अन्य पोस्ट में ‘पाकिस्तान वायु सेना जिंदाबाद’ लिखा था और इसमें भारतीय विमान को पाकिस्तानी विमान द्वारा नष्ट करते हुए दिखाया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी कुछ अन्य आपत्तिजनक पोस्ट किए गए थे।

बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि आपत्तिजनक पोस्ट फॉरवर्ड नहीं की गई थी, जबकि राज्य ने तर्क दिया कि पोस्ट वैमनस्यता पैदा करती है और भारतीय सेना तथा भारतीय वायु सेना के प्रति अनादर दिखाती है।

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मनीष वर्मा
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