10.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया
आगरा।
अमानत में खयानत (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट) के मामले में एक पारिवारिक विवाद में आरोपी 63 वर्षीय भतीजे को अदालत ने दोषी पाए जाने के बावजूद जेल की सज़ा नहीं दी।
एसीजेएम-2 माननीय बटेश्वर कुमार की अदालत ने आरोपी की उम्र और उसकी कैंसर से पीड़ित पत्नी की गंभीर बीमारी को देखते हुए सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाया और उसे तीन वर्ष की परिवीक्षा (प्रोबेशन/नेक चाल चलनी) पर रिहा करने का आदेश दिया।
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यह था मामला:
थाना छत्ता में श्रीमती उर्मिला अग्रवाल निवासिनी मोती लाल नेहरू रोड, आगरा ने अपने भतीजे संजय कुमार अग्रवाल पुत्र स्व. राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल निवासी इनर सिटी रोड, थाना हरीपर्वत के विरुद्ध लाखों रुपये की देनदारी पर अमानत में खयानत का मुकदमा दर्ज कराया था।
अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में वादिनी श्रीमती उर्मिला अग्रवाल, उनके पुत्र दीपक प्रहलाद अग्रवाल, एस.आई. सुनील कुमार एवं विशाल मोदी को गवाही के लिए अदालत में पेश किया गया।
अदालत का फैसला:
वादी के अधिवक्ताओं देवी राम शर्मा एवं राहुल शर्मा के तर्कों पर, एसीजेएम-2 माननीय बटेश्वर कुमार ने आरोपी संजय कुमार अग्रवाल को दोषी पाया।
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हालांकि, अदालत ने आरोपी की 63 वर्षीय उम्र और उसकी पत्नी के कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के कारण मानवीय आधार पर तीन वर्ष की जेल की सज़ा न देते हुए, तीन वर्ष की परिवीक्षा पर रिहाई के आदेश दिए।
अर्थदंड (जुर्माना):
अदालत ने आरोपी पर 10 लाख 25 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। इसमें से 10 लाख रुपये बतौर प्रतिकर (मुआवजा) वादिनी श्रीमती उर्मिला अग्रवाल को और 25 हजार रुपये राज्य सरकार के खाते में जमा करने का आदेश दिया गया है।
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