वर्ष 2023 में भी आरोपी कें विरुद्ध थाना छत्ता में दर्ज कराया था दुराचार का मुकदमा
आरोपी कें अनुसार 5 लाख रुपये वसूल मुकदमा समाप्त करा दिया था
आरोपी के विरुद्ध पुनः दुराचार का मुकदमा दर्ज कराने हेतु अदालत में दिया था प्रार्थना पत्र
अदालत द्वारा प्रार्थना पत्र को परिवाद के रूप में दर्ज करने के आदेश के विरुद्ध किया था रिवीजन
सत्र न्यायालय ने रिवीजन खारिज करने के दिये आदेश
आगरा 06 फरवरी ।
दुराचार एवं अन्य धारा में मुकदमा दर्ज कराने के बाबत प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को अदालत द्वारा एफआईआर के आदेश ना दें, परिवाद के रूप में दर्ज करने के आदेश के विरुद्ध रिवीजन को एडीजें 15 माननीय राजीव कुमार पालीवाल ने निरस्त करने के आदेश दिये।
मामले के अनुसार थाना छत्ता क्षेत्र की युवती ने पवन सिकरवार पुत्र रामदास निवासी कोलिहाई थाना ताजगंज जिला आगरा के विरुद्ध शादी का झांसा देकर दुराचार एवं अन्य धारा में मुकदमा दर्ज कराने हेतु वर्ष 2024 में एसीजेएम 2 की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था।
अदालत नें उक्त प्रार्थना पत्र पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश ना दें, प्रार्थना पत्र को परिवाद के रूप में दर्ज करने के आदेश देने पर युवती ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय में रिवीजन कर अधीनस्थ न्यायालय का आदेश निरस्त करने का आग्रह किया।
विपक्षी/आरोपी पवन सिकरवार ने अपने अधिवक्ताओं नरेंद्र पाल सिंह एवं संजय गुप्ता कें माध्यम से तर्क दियें कि रिवीजन करने वाली महिला ने तथ्यों को छुपातें हुये उक्त रिवीजन किया है।वह वर्ष 2023 में भी उसके विरुद्ध अपराध संख्या 48/2023 पर दुराचार एवं धमकी का मुकदमा दर्ज करा चुकी है ।
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उसमें उसने अपने 164 द.प्र.स. के बयानों मे कथन किया था कि उसके आरोपी से प्रेम सम्बंध थे। उसनें क्रोध वश आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया था। आरोपी नें उसके साथ कोई भी गलत काम नहीं किया था। युवती के बयान के आधार पर मुकदमें के विवेचक द्वारा उक्त मुकदमे में एफ.आर.लगा अदालत में प्रेषित कर दी। अदालत में वादनी युवती द्वारा स्वयं अदालत से एफ.आर. स्वीकृति का आग्रह किया गया था।
वादनी द्वारा दूसरे मुकदमा दर्ज कराने हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र मे उसके साथ पुनः दुराचार करने के आरोप के बाबत 22 अप्रेल 24 की तारीख अंकित की हैं उस दिन आरोपी आगरा में ना होकर लखनऊ में था।
आरोपी कें अनुसार युवती वर्ष 2019 से उसकी परिचित थी। वह स्वयं आरोपी से मित्रता एवं शादी करनें की इच्छुक थीं। जिस पर आरोपी नें वर्ष 2020 में उससे सम्बंध समाप्त कर लिये थे। वादनी ने उसके विरुद्ध झूँठा मुकदमा दर्ज करा उससे 5 लाख रुपये वसूल पूर्व मुकदमा समाप्त कराया था ।
14 अप्रेल 2024 को पुनः आरोपी से 5 लाख रुपये की मांग की गई थी। ना देने पर झूंठे मुकदमे में फँसाने की धमकी दी गयी थी । जिसका सबूत उसकें मोबाइल मे हैं।
एडीजें 15 माननीय राजीव कुमार पालीवाल ने आरोपी के अधिवक्ता नरेंद्र पाल सिंह एवं संजय गुप्ता के तर्क पर वादनी का रिवीजन निरस्त करने के आदेश दिये ।
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