कहा-गलतियों-कमियों को सुधारने की छूट का कोई फायदा नहीं हुआ
प्रमुख सचिव न्याय को संज्ञान लेने का दिया निर्देश
आगरा / प्रयागराज 26 सितंबर।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हलफनामा दायर करने में सरकार के अधिकारियों / अधिवक्ताओं की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। प्रकरण को महाधिवक्ता व प्रमुख सचिव न्याय के संज्ञान में लाने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने हाल ही में कहा, ‘हलफनामे दाखिल करने में गलतियों या कमियों को सुधारने के लिए विभिन्न अवसरों पर छूट दी है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। भूमि के लिए स्टांप शुल्क मूल्यांकन को चुनौती देने वाले इंद्रावती बनाम राज्य मामले में डीएम भदोही के व्यक्तिगत हलफनामे में कुछ विसंगतियों को देख कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने इससे पहले सरकारी अधिवक्ता के अनुरोध पर कई स्थगन दिए थे। फरवरी में कोर्ट ने कहा था कि यदि राज्य 15 मार्च तक जवाबी हलफनामा दायर नहीं करता है तो संबंधित प्राधिकारी को न्यायालय की सहायता के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
फिर राज्य के अनुरोध पर मामले को 30 जुलाई को सूचीबद्ध करने से पहले जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दो मार्च को कुछ सप्ताह बढ़ा दिया गया।
इसके बावजूद 30 अगस्त तक कोई जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो कोर्ट ने डीएम भदोही को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
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सरकार से कहा गया कि इसका अनुपालन सुनिश्चित कराए। अपने व्यक्तिगत हलफनामे में जिला मजिस्ट्रेट ने कहा है कि उनका इरादा अदालत के पहले के निर्देशों का उल्लंघन नहीं था।
न्यायालय के आदेशों के बारे में उन्हें कभी सूचित नहीं किया गया। इसलिए समय सीमा के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया जा सका।
कोर्ट इस हलफनामे में कई त्रुटियों को देख कर भी आश्चर्यचकित था। न्यायालय ने कहा हलफनामे के पैराग्राफ चार में कहा गया है कि 30 अगस्त 2024 का फैक्स प्राप्त होने के बाद सबसे पहले उपरोक्त याचिका में पारित पिछले आदेशों की जानकारी मिली।
कोर्ट का कहना है कि जिला मजिस्ट्रेट क्या कहना चाह रहे हैं यह स्पष्ट नहीं है।
न्यायालय ने हलफनामे को पुन: प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की ‘ऐसा प्रतीत होता है कि हलफनामे बहुत ही अनौपचारिक तरीके से दायर किए गए हैं यहां तक कि हस्ताक्षर करने से पहले पढ़े बिना भी।
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कोर्ट ने कहा इसी तरह की चिंता एक अन्य मामले (विजय सिंह बनाम यूपी राज्य) में पारित 13 सितंबर के आदेश में भी है।
संबंधित प्रकरण में कोर्ट ने महाधिवक्ता और प्रमुख सचिव (कानून) को ऐसे मुद्दों पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने कहा है कि यह प्रकरण भी महाधिवक्ता के साथ-साथ प्रमुख सचिव (कानून) और एलआर के समक्ष रखा जाए। रजिस्ट्रार (अनुपालन) इस आदेश से सभी को एक सप्ताह में अवगत कराएं। मुख्य मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी।
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