कानपुर बिकरू कांड: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपी चौकी इंचार्ज के.के.शर्मा की ज़मानत तीसरी बार की खारिज़

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां
सीओ सहित कई पुलिस कर्मियों की हुई थी हत्या
केके शर्मा की अपराध में भूमिका को देखते हुए हाई कोर्ट ने नहीं दी जमानत

आगरा / प्रयागराज 24 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के चर्चित बिकरू हत्याकांड में आरोपी चौकी इंचार्ज कृष्ण कुमार शर्मा की जमानत अर्जी तीसरी बार भी खारिज कर दी है।

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कोर्ट ने कहा कि मुक़दमे का ट्रायल चल रहा है। अपराध की गंभीरता और याची की अपराध में भूमिका को देखते हुए फिलहाल जमानत दिए जाने का आधार नहीं है। फिलहाल न्यायालय ने के.के. शर्मा को छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल के स्टेटस के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सुनवाई के बाद दिया। वादी की ओर से अधिवक्ता एल.एम.सिंह प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने जमानत अर्जी का विरोध किया।

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इससे पूर्व के.के. शर्मा की 21 सितंबर 2021 को पहली जमानत अर्जी और 12 अप्रैल 2023 को दूसरी जमानत अर्जी न्यायालय खारिज कर चुकी है। याची के वकील का कहना था कि वह 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद है और अभी ट्रायल जल्द पूरा होने की कोई उम्मीद नहीं है।

यह भी कहा गया कि जिन गवाहों के अब तक बयान हुए हैं उनमें से किसी में भी याची की कोई भूमिका सामने नहीं आई है। किसी गवाह के बयान में यह बात नहीं आई है कि याची ने पुलिस दबिश की जानकारी विकास दुबे को पहले से दे दी थी।

जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और विकास सहाय का कहना था कि इस स्तर पर अदालत साक्ष्य की प्रकृति पर विचार नहीं कर सकती है क्योंकि कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान अभी नहीं हुए हैं । इस मामले में करीब 22 मुख्य गवाहों के बयान अभी होने बाकी है। जमानत दिए जाने पर यांची गवाहों को प्रभावित कर सकता है।

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कोर्ट में प्रस्तुत की गई ट्रायल की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार मामले में कुल 102 गवाह है जिनमें से कुछ लोगों की ही गवाही अभी हुई है।

कोर्ट ने कहा कि याची की भूमिका काफी गंभीर है उसने पुलिस अधिकारी होते हुए अपने साथियों का भरोसा तोड़ा जिसकी वजह से उसके आठ सह कर्मियों की हत्या हो गई। मुकदमे का ट्रायल शुरू हो चुका है ।

गवाहों के परीक्षण का विस्तृत अवसर मिलेगा। अपराध की प्रकृति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि याची काफी लंबे समय से जेल में बंद है।

कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए याची को यह छूट दी है कि वह 6 महीने बाद ट्रायल की स्थिति के साथ फिर से जमानत अर्जी दाखिल कर सकता है।

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मनीष वर्मा
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