14 लाख के चेक डिसऑनर मामले में महिला बरी: कोर्ट ने कहा- वादी ‘स्वच्छ हाथों’ से नहीं आया

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आगरा २० मई ।

14 लाख रुपये के चेक डिसऑनर के एक मामले में आगरा की एक अदालत ने श्रीमती नीरजा पत्नी सोनू, निवासी एलो सुलभ सेंटर नार्थ ईदगाह, थाना नाई की मंडी को स्पेशल कोर्ट एन आई एक्ट प्रथम के माननीय सतेंद्र सिंह वीरवान बरी कर दिया है।

अदालत ने पाया कि मुकदमे के वादी प्रेम चंद कुशवाह निवासी ताल फिरोज खा, थाना सदर, आगरा ने विधिक अनियमितता बरती और स्वच्छ हाथों से अदालत में पेश नहीं हुए।

क्या था मामला ?

वादी प्रेम चंद कुशवाह ने आरोप लगाया था कि उन्होंने एमजी रोड स्थित कुंदकुंद दिगंबर जैन ट्रस्ट के भवन में 74.33 वर्गमीटर का भूखंड खरीदने के लिए ट्रस्ट के अध्यक्ष पदम् चंद जैन से 15 लाख रुपये में सौदा किया था। इसके लिए उन्होंने 13 मार्च 2012 को एग्रीमेंट कर 14 लाख रुपये एडवांस दिए थे।

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प्रेम चंद के अनुसार, पदम् चंद जैन ने 18 नवंबर 2013 को उक्त भूखंड 26 लाख रुपये में किसी अन्य को बेच दिया, जिसके बाद वादी ने अपनी रकम वापस मांगी। इस पर पदम् चंद जैन ने अपनी पुत्रवधू श्रीमती नीरजा से उन्हें 10 फरवरी 2016 को 14 लाख रुपये का चेक दिलवाया, जो भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत करने पर डिसऑनर हो गया।

अदालत का फैसला

मामले के विचारण के दौरान, अदालत ने पाया कि वादी ने तथ्यों को छिपाकर गलत मंशा से मुकदमा दायर किया था। अदालत ने यह भी गौर किया कि वादी ने 14 लाख रुपये का चेक कुंद कुंद ट्रस्ट की मोहर से जारी होने का दावा करने के बावजूद न तो ट्रस्ट को पक्षकार बनाया और न ही पदम् चंद जैन को, जिनके साथ भूखंड का सौदा तय हुआ था।

अदालत ने यह भी पाया कि पदम् चंद जैन और वादी के बीच हुए एग्रीमेंट में श्रीमती नीरजा के हस्ताक्षर नहीं थे। साक्ष्य के अभाव और अभियुक्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश नारायण शर्माजय नारायण शर्मा के तर्कों के आधार पर अदालत ने श्रीमती नीरजा को दोषमुक्त करने का आदेश दिया।

इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि अदालत ने मुकदमे की बारीकियों और वादी की मंशा पर गहराई से विचार किया, जिसके परिणामस्वरूप अभियुक्ता को न्याय मिला।

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विवेक कुमार जैन
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