इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा शेयर बाजार के अपने जोखिम, निवेश की वसूली के लिए एफआईआर दर्ज करना गलत

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इक्विटी शेयर लेनदेन विवाद के संबंध में आईपीसी की धारा 420 और 409 के तहत थाना हरी पर्वत आगरा में की गई एफआईआर की रद्द

आगरा / प्रयागराज 27 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शेयर बाजार के अपने जोखिम हैं और निवेश की गई रकम की वसूली के लिए शेयर ब्रोकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना सही नहीं है।

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कोर्ट ने एक लाइसेंसधारी शेयर दलाल एवं प्रतिभूति कंपनी के निदेशक/मालिक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी है। याची जितेन्द्र कुमार केसरवानी के खिलाफ इक्विटी शेयर लेनदेन विवाद के संबंध में आईपीसी की धारा 420 और 409 के तहत थाना हरी पर्वत, आगरा में एफआईआर दर्ज की गई थी।

न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि आवेदक एक शेयर ब्रोकर था और विरोधी पक्ष शेयरों में निवेश के परिणामों से पूरी तरह वाकिफ थे।

तर्क दिया गया कि एफआईआर में धारा 420 और 409 आईपीसी के कोई तत्व नहीं है। पक्षों के बीच विवाद एक व्यापारिक लेनदेन से संबंधित था। इसलिए यह मामला भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अधिनियम, 1992 के दायरे में आता है जिसकी एफआईआर नहीं होगी।

हाईकोर्ट ने कहा

एक ही आरोप के आधार पर किसी व्यक्ति को धारा 409 आईपीसी के साथ-साथ धारा 420 आईपीसी के तहत अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि दोनों अपराध विरोधाभासी हैं।

हाईकोर्ट ने कहा,

सेबी अधिनियम एक विशेष अधिनियम है, जो आईपीसी या सीआरपीसी जैसे सामान्य अधिनियम पर प्रभावी होगा।

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मनीष वर्मा
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