कोर्ट ने जमानत देने से किया इंकार, कहा यथाशीघ्र करें ट्रायल पूरा
आगरा/प्रयागराज 23 सितंबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार साल से जेल में बंद घर में जबरन घुसकर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि कोई विधिक बाधा न हो तो यथाशीघ्र ट्रायल पूरा करें।

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने आरोपी अनिल कुमार की द्वितीय जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। पहली जमानत अर्जी 1 सितंबर 21को निरस्त कर दी गई थी।
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याची का कहना था कि वह चार साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। अनुच्छेद 21 के जीवन के मूल अधिकारों का उल्लघंन किया जा रहा है। कानपुर देहात के शिवली थाने में दर्ज केस में शिकायतकर्ता व पीड़िता के बयानों ने अभियोजन स्टोरी का समर्थन नहीं किया है।
ऐसे में उसे सजा मिलने की संभावना नहीं है। इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए। वह ट्रायल में सहयोग करेगा और जमानत का दुरूपयोग नहीं करेगा।
सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता के मुख्य बयान व क्रास बयान में समानता है। उसने आरोपी का नाम लिया है और घर में घुसकर दुष्कर्म करने का बयान दर्ज कराया है।
आरोपी के अधिवक्ता ने क्रास बयान दर्ज कराने में जानबूझकर उसी दिन बयान लेने के बजाय दो माह 9 दिनो की देरी की ताकि वह पीड़िता को प्रभावित कर सके। मुख्य बयान व क्रास बयान दर्ज करने में दो माह का गैप होने से अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं दिखा।

किंतु पीड़िता के दोनों बयानों में समानता है। इसलिए आरोपी जमानत पाने का हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विनोद कुमार व हुसैन केस के हवाले से कहा कि ट्रायल पूरा हो।
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