आगरा:
16 साल से अपने पति का इंतजार कर रही एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम ने उनके पति को ‘सिविल डेथ’ घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद, महिला को अब कानूनी रूप से मृतक की पत्नी के रूप में मान्यता मिल जाएगी।
यह मामला 29 जून 2009 का है, जब अतिया (तत्कालीन उम्र 24 वर्ष) के पति अब्दुल हनीफ काम के सिलसिले में घर से निकले थे और फिर कभी वापस नहीं लौटे।
अतिया ने तुरंत थाना ताजगंज में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी और अखबारों में भी उनके लापता होने की सूचना प्रकाशित करवाई थी। उन्होंने और उनके परिवार ने हर संभव जगह पर उनकी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
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पिछले 16 वर्षों से अतिया न तो विधवा थी और न ही सुहागन, एक ऐसी स्थिति जिसमें कानूनी तौर पर वह अपने पति के जीवित होने या मृत होने की कोई पुष्टि नहीं कर सकती थी। इस दौरान उन्हें सरकार से भी कोई सहायता नहीं मिली।
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सात साल से अधिक समय तक लापता रहता है, तो उसे मृत मान लिया जाता है। इतने लंबे समय तक अपने पति के बारे में कोई खबर न मिलने के बाद, अतिया ने अपने वरिष्ठ अधिवक्ताओं एम.पी. सिंह और शुभम पाल सिंह के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की।
अधिवक्ताओं के तर्कों और केस के तथ्यों पर विचार करते हुए, कोर्ट ने अब्दुल हनीफ की सिविल डेथ घोषित करने का फैसला सुनाया।
यह फैसला अतिया के लिए कानूनी रूप से एक नई शुरुआत है, जो उन्हें लंबे समय से अटके हुए अधिकारों और सामाजिक स्थिति को वापस पाने में मदद करेगा।
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