विवाह ही अवैध तो नहीं चल सकता दहेज उत्पीड़न और दूसरे विवाह का केस : इलाहाबाद हाईकोर्ट

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा/प्रयागराज 6 सितंबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली शादी छुपाकर युवती से दूसरी शादी करने के मामले में दहेज उत्पीड़न और दूसरी विवाह के आरोप में दर्ज मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया है।

Also Read – शिक्षक दिवस पर अधिवक्ताओं ने किया अपने गुरु प्रो. अरविंद मिश्रा का सम्मान

कोर्ट ने कहा

दूसरी शादी करने वाली युवती का आरोपी के साथ पति-पत्नी का रिश्ता ही नहीं है। ऐसे में दहेज उत्पीड़न और दूसरे विवाह के आरोप में मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

हालांकि कोर्ट ने शिकायतकर्ता को धारा 198 सीआरपीसी के तहत धारा 495 भारतीय दंड संहिता के तहत कंप्लेंट केस दर्ज करने की छूट दी है।

इस धारा में पिछली शादी छिपाकर दूसरी शादी करने के अपराध का केस चलाया जा सकता है।

 

Also Read – हत्या आरोप में अभियुक्त के मजिस्ट्रेट के समक्ष समर्पण बगैर नहीं हो सकता सत्र अदालत में केस कमिट

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमेशरी ने ओम प्रकाश मिश्रा व अन्य व आंचल मिश्रा की दो याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता विभु राय ने बहस की। मालूम हो कि कानपुर नगर के किदवई नगर थाने में दहेज उत्पीड़न व दूसरे विवाह के मामले में एफआईआर दर्ज करायी गयी।

युवती ने आरोप लगाया था कि आवेदक ने अपनी पहली शादी को छुपाकर उससे दूसरी शादी की है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

कोर्ट ने आरोप पत्र रद्द कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि

शिकायतकर्ता सीआरपीसी की धारा 198 के संदर्भ में आईपीसी की धारा 495 के तहत शिकायत दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है।

Also Read – अगस्त 93 से 2000 के बीच नियुक्त अध्यापकों का होगा नियमितीकरण, होगा वेतन भुगतान अपर महाधिवक्ता ने सरकार के फैसले के लिए कोर्ट से मांगा समय

कोर्ट ने यह भी कहा कि

यदि आरोप सही मान भी लिया जाए तो भी धारा 494 व धारा 498 ए का अपराध नहीं बनता, केवल धारा 495 के तहत कंप्लेंट केस दर्ज किया जा सकता है।

Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp Group – Click Here

 

मनीष वर्मा
Follow Me

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *