पति का तलाक का मुकदमा खारिज, पत्नी का साथ रहने का आवेदन स्वीकार

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आगरा: १२ जून ।

एक महत्वपूर्ण फैसले में, अदालत ने एक ऐसे मामले में पति द्वारा दायर विवाह विच्छेद (तलाक) के मुकदमे को खारिज कर दिया है, जिसमें पत्नी ने अपने पति के साथ रहने के लिए अलग से याचिका दायर की थी। अदालत ने पति को आदेश दिया है कि वह दो महीने के भीतर अपनी पत्नी के साथ रहकर अपने दांपत्य संबंधों को फिर से स्थापित करे।

यह मामला वृन्दावन निवासी स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक व्यक्ति और शमशाबाद क्षेत्र में शिक्षा विभाग में कार्यरत एक महिला से संबंधित है। दोनों की शादी 2 दिसंबर 2012 को हुई थी और 4 मार्च 2013 को उनकी एक बेटी का जन्म हुआ। हालांकि, वैचारिक मतभेदों के कारण, वे 19 मार्च 2014 से अलग-अलग रह रहे थे।

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वर्ष 2018 में, पति ने अपनी पत्नी पर कई आरोप लगाते हुए तलाक के लिए अदालत में याचिका दायर की। इसके जवाब में, पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत अपने पति के साथ रहने के लिए मुकदमा दायर किया।

सुनवाई के दौरान, पति और पत्नी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई आरोप लगाए। पत्नी के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार गुप्ता ने तर्क दिया कि पारिवारिक न्यायालयों का गठन परिवारों को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया था, न कि उन्हें तोड़ने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मुवक्किल सभी मतभेदों और कड़वाहट को छोड़कर अपनी बेटी के साथ अपने पति के साथ रहना चाहती है।

अदालत ने पत्नी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमति व्यक्त की और पति द्वारा प्रस्तुत विवाह विच्छेद वाद को खारिज कर दिया। वहीं, पत्नी द्वारा साथ रहने का वाद स्वीकार करते हुए, अदालत ने पति को आदेश दिया कि वह इस आदेश के पारित होने के दो महीने के भीतर अपनी पत्नी के साथ रहकर अपने दांपत्य संबंधों को पुनर्स्थापित करे।

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विवेक कुमार जैन
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