इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को इंस्पेक्टर पद पर पदावनति करने का आदेश रद्द

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पुलिस उपाधीक्षक के पद पर तदर्थ पदोन्नति देने का दिया आदेश

आगरा /प्रयागराज 29 नवंबर ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस उपाधीक्षक/डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर पदावनति देने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर‌ दिया है।

याची को डिप्टी एसपी के पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने याची को लोक सेवा आयोग द्वारा डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाये जाने की संस्तुति को भी निरस्त कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर पारित किया।

याची गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर वर्ष 2019 में कार्यरत थी। उस दौरान याची व 06 अन्य पुलिस कर्मियों के विरूद्ध 25 सितंबर 2019 को डा० राकेश कुमार मिश्र डिप्टी एसपी साहिबाबाद जनपद गाजियाबाद द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट अन्तर्गत धारा 409, आईपीसी एवं 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में थाना लिंक रोड, जनपद गाजियाबाद में दर्ज कराई गयी।

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याची व अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ यह आरोप था कि अभियुक्त राजीव सचान नोएडा गौतमबुद्धनगर को 31 लाख रूपये के साथ एवं अभियुक्त आमिर को 14 लाख 81 हजार पाँच सौ रूपये के साथ गिरफ्तार किया गया। जबकि पूछताछ में अभियुक्त राजीव कुमार द्वारा अपने पास से लगभग 55 लाख रूपये एवं अभियुक्त आमिर द्वारा अपने पास से लगभग 60-70 लाख रूपये बरामद होना बताया गया।

बरामद की गयी धनराशि एवं अभियुक्तों द्वारा पूछताछ में बताई गयी धनराशि में लगभग 70-80 लाख रूपये का अन्तर होना बताया गया। उक्त क्रिमिनल केस में याची सहित सभी 6 अन्य पुलिसकर्मियों के विरूद्ध 01 जनवरी 2020 को पुलिस द्वारा धारा 409/411, आईपीसी एवं 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

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याची इंस्पेक्टर की तरफ से कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने बताया कि विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ में चार्ज शीट दाखिल होने के बाद डिस्चार्ज एप्लीकेशन दाखिल की गई।

जिस पर स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने दिनांक 02 सितंबर 2021 को आदेश पारित करते हुए याची व 6 अन्य पुलिसकर्मियों को धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से उन्मोचित/डिस्चार्ज कर दिया।

कहा गया कि उसके बाद सरकार द्वारा उक्त डिस्चार्ज आदेश के विरूद्ध हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया गया। जिसमें हाईकोर्ट ने 10 दिसंबर 2021 को याची को नोटिस जारी किया गया तथा विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के आदेश को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गयी एवं याची को क्रिमिनल केस विचाराधीन होने के कारण डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति नहीं दी गयी। याची से जूनियर निरीक्षकों को भी डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने शासनादेश के अनुसार याची की पदोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश दिया तत्पश्चात 29 अगस्त 2023 को याची को उ प्र शासन द्वारा डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गयी एवं पदोन्नति आदेश के तहत याची ने 30 अगस्त 2023 को पुलिस उपाधीक्षक के पद पर जनपद आगरा में चार्ज ग्रहण कर लिया।

9 महीने डिप्टी एसपी के पद पर कार्य करने के पश्चात याची को दिनांक 11 जून 2024 को विशेष सचिव गृह उ.प्र. शासन के आदेश द्वारा डिप्टी एसपी के पद पर की गयी पदोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया एवं उसे इंस्पेक्टर बना दिया।

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उक्त आदेश उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रयागराज के संस्तुति के आधार पर पारित किया गया है। याची ने उ.प्र. शासन गृह विभाग के आदेश दिनांक 11 जून 2024 को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

हाईकोर्ट ने उ. प्र. शासन व पुलिस के आलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि याची का तदर्थ आधार पर डिप्टी एसपी पद पर पदोन्नति रहेगी और यह पदोन्नति पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही के निर्णय पर निर्भर रहेगा।

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मनीष वर्मा
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