आगरा।
एक चौंकाने वाले फैसले में, अपर जिला जज-5 माननीय मृदुल दुबे ने पति पवन राणा की हत्या के आरोप में उनकी पत्नी प्रीति राणा और उनके कथित मित्र नितिन अग्रवाल को इज्जत के साथ बरी कर दिया है।
अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका और गवाहों के बयान पूरी तरह से मनगढ़ंत थे। कोर्ट ने मामले की जांच में लापरवाही बरतने के लिए विवेचक को भी कड़ी फटकार लगाई।
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क्या था पूरा मामला ?
यह मामला थाना जगदीशपुरा में मृतक पवन राणा के पिता शिव गणेश द्वारा दर्ज कराया गया था। शिव गणेश ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे पवन की पत्नी प्रीति और उसके पड़ोसी नितिन अग्रवाल के अवैध संबंधों के कारण पवन की मृत्यु हुई।
शिकायत के अनुसार, 27 जनवरी 2020 को प्रीति ने शिव गणेश को फोन कर बताया कि पवन फांसी लगाने की कोशिश कर रहे हैं। शिव गणेश तुरंत अपने परिवार के साथ पवन के घर पहुंचे, जहां उन्होंने पवन का शव पंखे से लटका पाया।
उन्होंने शव को नीचे उतारा और बिना पुलिस को सूचना दिए या पोस्टमार्टम कराए, इलाज के लिए अस्पताल ले गए। डॉक्टरों द्वारा पवन को मृत घोषित करने के बाद, वे शव को अपने पैतृक गांव मथुरा ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया।
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कोर्ट ने गवाहों के बयान को माना ‘ट्यूटर्ड’
पवन की तेरहवीं के बाद, शिव गणेश ने 16 फरवरी को अपनी पोती (पवन की बेटी) को उसकी ननिहाल से अपने घर लेकर आए। शिव गणेश ने दावा किया कि उनकी पोती ने रो-रोकर घटना के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने प्रीति और नितिन के खिलाफ हत्या का शक जताते हुए शिकायत दर्ज कराई।
मामले में, मृतक की 13 वर्षीय बेटी ने अदालत में गवाही दी कि उसने अपनी मां और नितिन को एक कमरे में देखा था। उसने आरोप लगाया कि जब उसके पिता घर आए तो नितिन ने उनकी गर्दन पर डंडे से वार किया, जिससे वे गिर गए। फिर नितिन ने उनके मुंह पर कंबल रख दिया और उनकी मां उनके पैरों पर बैठ गईं, जिससे उनके पिता की मौत हो गई।
अपर जिला जज-5 ने आरोपियों के वकीलों रेखा चौहान और चौधरी अजीत सिंह के तर्कों को स्वीकार करते हुए पाया कि यह बयान पूरी तरह से “ट्यूटर्ड” (सिखाया हुआ) था।
अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचना देगा और पोस्टमार्टम कराएगा, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया।
इसके अलावा, अभियोजन पक्ष न तो हत्या में इस्तेमाल किया गया डंडा और कंबल पेश कर सका, और न ही अवैध संबंध का कोई सबूत।

विवेचक पर उठे सवाल:
अदालत ने विवेचना में पुलिस की लापरवाही पर गंभीर आपत्ति जताई। अदालत ने कहा कि विवेचक ने जांच में घोर लापरवाही बरती और बिना पर्याप्त सबूतों के हत्या का आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
गवाहों के बयान झूठे और मनगढ़ंत साबित हुए, जिसके आधार पर आरोपियों को बाइज्जत बरी किया गया।
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