आगरा:
एक चेक बाउंस के मामले में, सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपी को कोई राहत देने से इंकार कर दिया।
आरोपी ने अपनी याचिका में चेक पर अपने हस्ताक्षर न होने का दावा करते हुए हैंडराइटिंग विशेषज्ञ से जांच कराने की मांग की थी, जिसे पहले निचली अदालत और अब सत्र न्यायालय ने भी खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला ?
यह मामला मदन मोहन, निवासी नगला परमा, जीवनी मंडी (थाना छत्ता) और चिराग मोहम्मद उर्फ चिरागुद्दीन, निवासी नया घेर, जीवनी मंडी के बीच का है।
Also Read – उपभोक्ता आयोग प्रथम ने दिलाया इंश्योरेंस कंपनी से ₹1.26 लाख का क्लेम

मदन मोहन ने अपने वकील राजेश यादव और अदिति यादव के माध्यम से अतिरिक्त न्यायालय संख्या 2 में चिराग मोहम्मद के खिलाफ चेक बाउंस का मुकदमा दायर किया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, आरोपी चिराग मोहम्मद ने अदालत में एक अर्जी दाखिल की, जिसमें उसने दावा किया कि विवादित चेक पर उसके हस्ताक्षर नहीं हैं। इसलिए, उसने अदालत से चेक की लिखावट की जांच किसी हैंडराइटिंग विशेषज्ञ से कराने का अनुरोध किया।
निचली अदालत ने चिराग मोहम्मद की इस अर्जी को खारिज कर दिया। इस फैसले के खिलाफ, चिराग मोहम्मद ने सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण (रिवीजन) याचिका दायर की।
सत्र न्यायालय का फैसला:
सत्र न्यायाधीश ने वादी मदन मोहन के अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पाया कि आरोपी की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है।
Also Read – चेक बाउंस मामले में आरोपी आशीष सारस्वत को कोर्ट ने किया तलब

इसके बाद, सत्र न्यायाधीश ने चिराग मोहम्मद की रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया और अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को सही ठहराया।
इस फैसले से आरोपी को कोई राहत नहीं मिली, और उसे अब मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Channel Bulletin & Group Bulletin
- आगरा में मां की निर्मम हत्या के आरोपी पुत्र को आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा - October 25, 2025
- आगरा अदालत में गवाही के लिए हाजिर न होने पर विवेचक पुलिस उपनिरीक्षक का वेतन रोकने का आदेश - October 25, 2025
- 25 साल बाद फिरौती हेतु अपहरण के 6 आरोपी बरी, अपहृत ने नकारी गवाही - October 25, 2025







1 thought on “चेक बाउंस मामले में सत्र न्यायालय का फैसला: अधीनस्थ न्यायालय का आदेश बरकरार”