आगरा:
शहर के चर्चित व्यवसायी गयासुद्दीन की दूसरी पत्नी जरीना वहाब उर्फ डॉली की हत्या के मामले में आरोपी आरिफ उर्फ शानू को अपर जिला जज (एडीजे-12) माननीय महेंद्र कुमार ने साक्ष्य के अभाव और गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए जाने के बाद बरी कर दिया है।
यह मामला 15 मई 2015 का है, जब गयासुद्दीन ने ताजगंज थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी को एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई। इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया था।
पुलिस की जांच के दौरान, वादी की पहली पत्नी के भाई (साले) आरिफ उर्फ शानू और पहली पत्नी के पुत्र समीर उर्फ प्रिंस का नाम सामने आया। पुलिस ने दोनों के खिलाफ हत्या का आरोप-पत्र अदालत में पेश किया। प्रिंस नाबालिग होने के कारण उसका मामला किशोर न्याय बोर्ड में भेज दिया गया था।
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बयानों में विरोधाभास:
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में कई गंभीर विरोधाभास सामने आए।
* वादी के बयान: गयासुद्दीन ने पहले दर्ज कराई गई एफआईआर को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि घटना के समय वे घर पर नहीं, बल्कि अपने दोस्त की दुकान पर थे। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी अनजान व्यक्ति ने उनके नाम से फर्जी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने यह भी कहा कि एफआईआर पर उनके हस्ताक्षर भी फर्जी हैं। अपने बयान में उन्होंने आरिफ उर्फ शानू और प्रिंस को संपत्ति विवाद के कारण हत्या का जिम्मेदार ठहराया।
* पुलिसकर्मी का बयान: दूसरी ओर, तत्कालीन हेड कांस्टेबल हरिकेश ने अपने बयान में कहा कि वादी गयासुद्दीन खुद थाने आए थे और उनके कहने पर ही अज्ञात आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर गयासुद्दीन ऐसा कहते हैं कि वह थाने नहीं गए थे, तो वे झूठ बोल रहे हैं।
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* पुत्रियों के बयान: मृतक की बेटियों, खुशी और साहिबा ने अपने बयानों में कहा कि घटना के समय उनके सौतेले भाई प्रिंस और आरिफ उर्फ शानू घर आए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि आरिफ के उकसाने पर प्रिंस ने उनकी माँ को गोली मार दी।
अभियोजन पक्ष मामले से संबंधित स्वतंत्र गवाहों जैसे सेल्समैन नंदी, वादी के भाई और मौके के साक्षी आबिद को भी अदालत में पेश नहीं कर पाया। साथ ही, घटनास्थल से एकत्र किए गए खून के नमूनों की भी मृतका के रक्त से पुष्टि नहीं हो सकी।
वादी और अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास और सबूतों की कमी को देखते हुए, एडीजे-12 ने आरोपी आरिफ उर्फ शानू को बरी करने का आदेश दिया।
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