आरोपी के वकील हर्ष भड़ाना के तर्कों के आधार पर न्यायालय ने कहा कि “जमानत एक नियम है, जेल एक अपवाद
आगरा/चंडीगढ़:
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बलात्कार 376(2)(एन) और 406 आईपीसी अपराधिक विश्वासघात के आरोप में गिरफ्तार कन्हैया को नियमित जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति कीर्ति सिंह की पीठ ने 5 अगस्त, 2025 को यह फैसला सुनाया। आरोपी कन्हैया पर एक महिला से शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने और लगभग 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
मामले का विवरण:
पीड़िता ने 31 जनवरी, 2025 को पुलिस स्टेशन सेक्टर-14, गुरुग्राम में एफआईआर नंबर 29 दर्ज कराई थी। एफआईआर के अनुसार, आरोपी कन्हैया ने 1 मई, 2021 को फेसबुक के माध्यम से पीड़िता से संपर्क किया था।
इसके बाद जून 2021 में वह गुरुग्राम में पीड़िता के घर आया, जहाँ उसने पीड़िता के माता-पिता को बताया कि उसके माता-पिता आजमगढ़ में रहते हैं। पीड़िता के परिवार ने उसे दामाद मानकर आशीर्वाद दिया और ₹2100 दिए।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि 22 जून, 2021 को कन्हैया उसे गुरुग्राम बस स्टैंड के पास एक होटल में ले गया और उसकी मर्जी के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद, कन्हैया ने पीड़िता के परिवार से शादी का वादा किया और मिलने आता रहा।
पीड़िता के अनुसार, कन्हैया ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाया और कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, जिसमें अप्राकृतिक यौन संबंध भी शामिल थे। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो उसने दो महीने में शादी का हवाला देकर उसे शांत किया।
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धोखाधड़ी का आरोप:
शिकायत के मुताबिक, कन्हैया ने पीड़िता और उसके परिवार से कई बहाने बनाकर पैसे और महंगे सामान ऐंठे। इसमें शामिल हैं:
* हर बार मिलने आने पर दामाद के तौर पर ₹1,100/- से ₹5,100/- तक की राशि लेना।
* पीड़िता से उसके जन्मदिन पर ₹30,000/- का मोबाइल फोन, ₹6,000/- और ₹8,000/- की दो स्मार्टवॉच, ₹8,000/- का चांदी का ब्रेसलेट, और कई महंगे कपड़े लेना।
* पुणे में प्लॉट खरीदने के बहाने ₹2,50,000/- लेना।
* एक्सीडेंट और कैंसर से पीड़ित पिता के इलाज के नाम पर बार-बार पैसे माँगना।
* स्कूटर की किस्त और मकान के किराये के लिए भी पैसे लेना।
पीड़िता ने दावा किया कि उसने कन्हैया को लगभग ₹10 लाख दिए, जिसमें से ₹5 लाख बैंक खाते के माध्यम से और बाकी नकद में दिए गए। 12 दिसंबर, 2024 को कन्हैया ने शादी से इंकार कर दिया और पीड़िता का मोबाइल फोन भी ब्लैकलिस्ट कर दिया।
बाद में पीड़िता को उसके दोस्तों से पता चला कि कन्हैया ने कई अन्य लड़कियों के साथ भी इसी तरह की धोखाधड़ी की है।
अदालत की सुनवाई और फैसला:
आरोपी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हर्ष भड़ाना ने तर्क दिया कि यह मामला एक “सहमति से बने रिश्ते” का है जो बाद में खराब हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि शादी का वादा धोखे की नीयत से नहीं किया गया था, और रिश्ता कुछ “अप्रत्याशित परिस्थितियों,” जैसे कि कन्हैया के पिता के खराब स्वास्थ्य, के कारण टूट गया। वकील ने यह भी कहा कि पीड़िता के परिवार द्वारा दिया गया पैसा स्वैच्छिक था।
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राज्य के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी पर गंभीर आरोप हैं। उन्होंने बताया कि चालान 16 मई, 2025 को पेश किया जा चुका है, लेकिन आरोप अभी तय नहीं हुए हैं।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि आरोपी 30 मार्च, 2025 से हिरासत में है और जाँच पूरी हो चुकी है। अदालत ने कहा कि मुकदमे को पूरा होने में काफी समय लगेगा और आरोपी को आगे हिरासत में रखना उसके अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, जिसमें “त्वरित सुनवाई का अधिकार” भी शामिल है। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि “जमानत एक नियम है, जेल एक अपवाद है।”
न्यायालय ने कन्हैया को कुछ शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, जिसमें सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करना, गवाहों को धमकाना नहीं और सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना शामिल है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला मामले की मेरिट पर अंतिम राय नहीं है और निचली अदालत मुकदमे को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाएगी।
Attachment/Order/Judgement – CRM-M_36138_2025_05_08_2025_FINAL_ORDER
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