पत्नी परिवार से अलग रह पृथक व्यापार का डालती थीं दबाब
घरेलू कार्य की कहने पर पति एवं उसकीं मां से करती थीं अभद्रता
पंचायत में पति से 25 लाख रुपये एवं 25 हजार माह वसूल कर भी पुत्र से नहीँ मिलने देती थी
आगरा 15 फरवरी ।
पत्नी के उत्पीड़न से त्रस्त पति का विवाह विच्छेद कर परिवार न्यायाधीश नें पति को राहत प्रदान की। मामले के अनुसार हरिद्वार उत्तराखंड निवासी वादी मुकदमा पति की शादी दयाल बाग निवासनी पत्नी से 1 मार्च 2011 को हुई थी।
वादी के अनुसार उसकी पत्नी विवाह के बाद से ही वादी पर अपने परिवार से अलग रहने एवं भाई के साथ साझेदारी को समाप्त कर अपना पृथक व्यापार करने का वादी पर दबाब डालती थी।
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वादी के मना करने पर पत्नी ने उसके साथ अभद्रता करना शुरू कर दिया। वर्ष 2013 में पुत्र का जन्म होने के बाद भी पत्नी के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। देर से सोकर उठना घरेलू कार्य करने की कहनें पर साफ मना करना शुरू कर दिया। यहां
तक कि वह अपने बच्चे तक का ध्यान नही रखती थी। बच्चें को स्तन पान कराने की कहने पर वह फिगर खराब होने की कह साफ मना कर देती थी। 24 अप्रेल 2017 को उसकीं पत्नी ने वादी के साथ गाली गलौज एवं मारपीट की। शारीरिक सम्बंध बनाने की कहने पर वह वादी के व्यक्तिगत अंगों पर प्रहार कर क्रूरतापूर्ण व्यवहार करती थी।
26 अप्रेल 2017 को पंचायत के माध्यम से 25 लाख रुपये की एफडी एवं 25 हजार रुपये प्रति माह देने पर वह अपने मायकेँ रहने लगी। पुत्र से नही मिलनें देनें पर वादी द्वारा विवाह विच्छेद हेतु याचिका प्रस्तुत करने पर वादी के अधिवक्ता अवधेश शर्मा के तर्क पर परिवार न्यायाधीश माननीय तृप्ता चौधरी ने वादी को विवाह विच्छेद का आदेश प्रदान कर उसे राहत प्रदान की।
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