35 दिन बाद फिरौती वसूलने के बाद ही दोनों को किया था मुक्त
अपहरण के दौरान सूखे कुंए और पेड़ से जंजीर से बांध कर रखतें थे
पुलिस की लापरवाही एवं साक्ष्य में विरोधाभास पर आरोपी हुये बरी
एक पीड़ित का उक्त घटना से पूर्व भी हुआ था अपहरण
पुलिस मुड़भेड़ में दोनों अपहरण कर्ता मारे गये थे
आगरा 18 जनवरी ।
फिरौती हेतु दो ग्रामीणो के अपहरण के मामले में आरोपित आशाराम, मेवाराम, सुल्तान सिंह एवं जोधा निषाद को पुलिस की लापरवाही एवं साक्ष्य में विरोधाभास पर एडीजे 12 माननीय महेंद्र कुमार ने घटना के 22 वर्ष बाद बरी करने के आदेश दिये।
थाना बसोनी में दर्ज मामले के अनुसार वादी मुकदमा उदय सिंह ने थाने पर तहरीर दे आरोप लगाया कि 14 जनवरी 2002 की शाम 6 बजे करीब उसके सगे भाई भगवान सिंह एवं चचेरा भाई रामनिवास सरसो के खेत में पानी लगाने गये थे।
दूसरे दिन सुबह 7 बजे खेत पर चाय देने जाने पर दोनों खेत पर नहीँ मिले। खेत में पानी भी नहीं लगा था।गांव से आधा किलोमीटर की दूरी पर राम शंकर के सरसो के खेत में फसल जमीन पर बिछी मिली। वहां कई पैरो के निशान मिले। वादी की तहरीर पर अज्ञात बदमाशो के विरुद्ध अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। बदमाशों द्वारा वादी पर फिरौती हेतु दो पत्र प्रेषित किये।
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उक्त मामले में 35 दिन बाद फिरौती वसूलने के उपरांत बदमाशो ने दोनों अपह्रत को मुक्त किया था। दोनों अपह्रत के अनुसार बदमाशों द्वारा उन्हे सूखे कुएं में रख फिरौती हेतु यातनाएं दी जाती थीं । वहीं पर शौच एवं लघुशंका हेतु विवश किया जाता था । असहनीय बदबू आने पर बदमाशों से आग्रह करने पर उन्होने उन्हे कुएँ से बाहर निकाल पेड़ से जंजीर के माध्यम से बांध कर रखा जाता था। फिरौती मिलने पर बदमाशो ने उन्हें 15 रुपये खर्च के लिए दे मुक्त कर दिया था ।
पुलिस नें उक्त मामले में आरोपी विजय शरण उर्फ वकील निवासी कुकथारी, पिनाहट, आशाराम एवं मेवाराम पुत्र गण बैजनाथ निवासी गण ग्राम बेती, थाना बसोनी, सुल्तान सिंह निवासी ग्राम सुनवार थाना बाह एवं जोधा निषाद निवासी विरखे पुरा, थाना खेरागढ़ के विरुद्ध फिरौती हेतु अपहरण आरोप में आरोप पत्र अदालत में प्रेषित किया था,
आरोपी विजय शरण उर्फ वकील की मौत हो जानें पर अदालत ने उसके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी।
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अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी मुकदमा उदय सिंह, अपह्रत रामनिवास, अपह्रत भगवान सिंह, एस.आई. /विवेचक गण नन्द किशोर, शिव प्रसाद, पुष्पेंद्र सिंह एवं पुलिस कर्मी चंदशेखर को गवाह के रूप मे अदालत में पेश किया गया।
उक्त मामले में पुलिस द्वारा अपह्रत का मैडिकल नहीँ पेश करने फिरौती हेतु प्रेषित पत्र अदालत मे नहीँ पेश करने, फिरौती पहुंचाने वालें व्यक्ति को अदालत में नही पेश करने, अपह्रत से बदमाशों की शिनाख्त नहीं करानें एवं दोनों अपह्रत के बयानों में गम्भीर विरोधाभास पर अदालत ने आरोपियों को बरी करने के आदेश दिये।
आरोपियों की तरफ से मुकदमें की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार शर्मा एवं मनीष पाठक द्वारा की गई।
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