आगरा:
अपनी बेटी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में एडीजे 28 माननीय शिव कुमार की अदालत ने पिता ठाकुर दास उर्फ घण्टोली को दोषी मानते हुए 5 साल की कैद और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में सबूतों के अभाव में सौतेली मां उषा देवी को बरी कर दिया गया।
यह मामला 20 मई 2012 को सैंया थाने में दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता मुकेश (आरोपी के साले का बेटा) ने पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि उसकी बुआ की बेटी लक्ष्मी को उसके पिता ठाकुर दास और सौतेली मां उषा देवी लगातार प्रताड़ित करते थे।
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मुकेश के अनुसार, लक्ष्मी की सौतेली मां उसे मारती-पीटती थी, खाना नहीं देती थी और छोटी-छोटी बातों पर कमरे में बंद कर देती थी। इन सब बातों से परेशान होकर लक्ष्मी ने 20 मई 2012 को आत्महत्या कर ली थी।
अदालत ने एडीजीसी विजय वर्मा के तर्कों और मामले से जुड़े सबूतों के आधार पर पिता ठाकुर दास को दोषी पाया।
कोर्ट ने उसे 5 साल कैद और 20 हजार रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया, जबकि सौतेली मां को आरोपों से बरी कर दिया गया।
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