आगरा में चल रहे श्रीकृष्ण विग्रह केस में जीपीआर सर्वे पर बहस जारी अगली सुनवाई की तिथि 30 नवम्बर

न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा 12 नवंबर ।

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह केस संख्या-659/2023 श्रीभगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड आदि में मंगलवार को सर्वे पर बहस शुरू हो गयी।

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बहस में माननीय न्यायालय को बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट “ए टूर इन इस्टर्न राजपुताना 1882-83″ में लिखा है कि औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के श्रीकृष्ण विग्रह आगरा की कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे पैरों से कुचलने के लिए दबवा दिए थे और जादूनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक “मासिर ए आलमगीरी” में लिखा है कि औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के श्रीकृष्ण के विग्रह आगरा की बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे पैरों से कुचलने के लिए दबबा दिए थे ।

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यही बात विपक्षी संख्या 2 ज़ामा मस्जिद ने सर्वे की अपनी लिखित आपत्ति में स्वीकारी है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के श्रीकृष्ण विग्रह को नबाब कुदसिया बेगम साहब की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबबा दिए थे।कनिंघम ने नबाब कुदसिया बेगम साहब की मस्जिद को कुदसिया बेगम लिखा है और जदुनाथ सरकार बेगम साहब लिखा है ।

वही जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अभिलेखों में जुमा मस्जिद के नाम से संरक्षित है। वादी अधिवक्ता ने बहस में माननीय न्यायालय को बताया कि वर्ष 1920 ई में ज़ामा मस्जिद को संरक्षित किया था जिसके नोटिफिकेशन में जामा मस्जिद के चारो तरफ किसी भी प्रकार निर्माण का उल्लेख नहीं है और न ही मस्जिद में किसी भी प्रकार के इस्लामिक आयोजन का उल्लेख है । लेकिन वर्तमान में जामा मस्जिद के चारो तरफ रोड बनी है और जामा मस्जिद में दुकानें बनी है ।

जिनका उपयोग व्यापारिक उद्देश्य से हो रहा है । जबकि जामा मस्जिद कानून के अनुसार एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है जिसके चारो तरफ 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता है । जिसके विरुद्ध विपक्षी संख्या 3 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने आजतक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की है ।

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राष्ट्रीय महत्व के स्मारक जामा मस्जिद को नुकसान पहुँचाया जा चुका है । वादी अधिवक्ता ने बहस में कहा है कि जिला जज वाराणसी ने ज्ञानवापी केस में वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया और राम मंदिर केस में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वे किया गया है और एएसआई ने एक आरटीआई के जबाब में यह कहा है कि जामा मस्जिद का अभी तक किसी भी प्रकार का उत्खनन व अन्वेषण नहीं किया गया है।

अभिलेखों के अनुसार श्रीकृष्ण विग्रह जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे है और जामा मस्जिद का कितना भाग जमीन के नीचे दबा है यह सिर्फ जामा मस्जिद के जीपीआर सर्वे व अन्य वैज्ञानिक विधि के सर्वे से ही सम्भव है ।

माननीय न्यायालय ने बहस की अगली तिथि 30 नवंबर नियत की है।

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विवेक कुमार जैन
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