भरत पुर के राजा सूरज मल नें कराया था मन्दिर का निर्माण
मन्दिर के नाम लाखों की वेश कीमती भूमि हैं
अदालत ने एसडीएम किरावली को नई समिति गठित कराने के दिये आदेश
आगरा 14 फरवरी ।
अछनेरा के मोहल्ला रठिया में भरत पुर के महाराजा सूरज मल द्वारा निर्मित नरसिंह भगवान कें तीन सौ वर्ष प्राचीन एवं ऐतिहासिक मन्दिर की समिति को एडीजे 15 माननीय राजीव कुमार पालीवाल ने भंग कर एसडीएम किरावली को नईसमिति गठित करा तीन माह के अंदर की गई कार्यवाही से अवगत कराने के आदेश दिये।
मामले के अनुसार मोहल्ला रठिया अछनेरा, तहसील किरावली, जिला आगरा तीन सौ वर्ष प्राचीन नरसिंह भगवान का ऐतिहासिक मन्दिर हैं।जिसका निर्माण भरतपुर के सुविख्यात राजा सूरज मल द्वारा कराया गया था। नरसिंह भगवान की प्राण प्रतिष्ठा समारोह अत्यंत भव्य तरीके से किया गया था। जिसमे पूरे भरतपुर राज्य की जनता ने भाग लिया था। राजा सूरज मल ने मन्दिर की व्यवस्था के सुचारू रूप से चलाने हेतु कई एकड़ भूमि भी दान में दी थी।
राजा सूरज मल ने उक्त मन्दिर एवं उसकी संपत्ति को सार्वजनिक रूप से सनातनी हिन्दुओ को समर्पित किया था। कालांतर में वर्ष 2000 में उक्त मन्दिर में भगवान हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी अत्यंत धूम धाम से की गई । कई एकड़ मे बनें मन्दिर की चारदिवारी 8 फुट की है।उक्त मन्दिर में जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा, रामनवमी एवं गुरुपूर्णिमा कें त्योहार बडी धूमधाम से आयोजित किये जाते थे।
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उक्त मन्दिर के मूल संस्थापक ट्रस्ट के सभी अधिकार समाप्त हो जाने पर मन्दिर सार्वजनिक ट्रस्ट हो आम जनता का हो गया।इसका संचालन समिति द्वारा किया जाने लगा।
समिति पर लोगों ने आरोप लगाया कि समिति द्वारा कई प्रकार की अनियमितता बरती गई।वह ऐतिहासिक मन्दिर को अपनी निजी संपत्ति मानने लगी।
मन्दिर की वेश कीमती जमीन हड़पने के प्रयोजन से षड्यन्त्र के तहत ऐतिहासिक मन्दिर से एक किलोमीटर दूर मोहल्ला बझेरा अछनेरा में नरसिंह भगवान की एक छोटी सी मूर्ति की स्थापना करा दी ।
मन्दिर समिति का अदालत में विवाद पहुंचने पर एडीजे 15 माननीय राजीव कुमार ने एडीजीसी सूरज कुमार के तर्क पर सभी समिति भंग कर मन्दिर से सम्बंधित किसी भी संपत्ति कें विक्रय नव निर्माण आदि पर रोक लगा लगाने के आदेश देते हुए एसडीएम किराबली को निर्देशित किया कि वह नई समिति का गठन कर उसके नियम, प्रक्रिया आदि तय कर तीन माह में कार्यवाही से अदालत को अवगत कराये। जब तक मन्दिर का प्रबंधन एवं संपत्ति के सरंक्षण की अंतरिम व्यवस्था करें।
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