आगरा/ प्रयागराज 23 अगस्त
प्रयागराज हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी की अनुमति लिए बगैर निकाहनामा करा लेने वाले गाजियाबाद के मौलाना मोहम्मद शाने आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायालय ने कहा कि मौलाना जो किया वह दंडनीय अपराध है। मामले के अनुसार पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि उसका शारीरिक शोषण किया गया और अमान ने इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाला साथ ही जबरन निकाह कराया गया।इसकी सुनवाई करते हुए प्रयागराज हाई कोर्ट ने कहा है कि इस्लाम अपनाने का दबाव डालकर निकाह कराना प्रथमदृष्टया धर्मांतरण (मतांतरण) करवाना अपराध है। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने निकाह कराने वाले मौलाना को जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अंकुर विहार गाजियाबाद निवासी मौलाना मोहम्मद शाने आलम की अर्जी पर दिया है।
अदालत ने कहा,
पीड़िता जो कंपनी में काम करती है, उसने बयान दिया है कि अमान ने धर्म बदलने का दबाव डाला और उसका निकाह कराया गया।जिलाधिकारी की अनुमति के बिना निकाहनामा दंडनीय अपराध है। मौलाना याची ने जिलाधिकारी की अनुमति लिए बगैर निकाहनामा करा लिया, जो दंडनीय अपराध है। उप्र विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2021 की धारा 8 के अंतर्गत किसी के भी खिलाफ बलपूर्वक, गलतबयानी, धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन देकर धर्मांतरित करने पर कार्रवाई की जा सकती है।
याची का कहना धर्म परिवर्तन में नहीं कोई भूमिका
याची का कहना था कि उसने केवल निकाह कराया है। धर्म परिवर्तन कराने में उसकी कोई भूमिका नहीं है। पीड़िता ने अपने बयान में कहा है कि उसका शारीरिक शोषण किया गया और अमान ने इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाला साथ ही जबरन निकाह कराया गया।
कोर्ट ने कहा,
भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने और प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है। संविधान सभी व्यक्तियों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो भारत की सामाजिक सद्भाव और भावना को दर्शाता है।
संविधान के अनुसार राज्य के समक्ष सभी धर्म समान संविधान के अनुसार राज्य का कोई धर्म नहीं है। राज्य के समक्ष सभी धर्म समान हैं। किसी धर्म को दूसरे धर्म पर वरीयता नहीं दी जा सकती। हालांकि हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां भोले-भाले लोगों को गलतबयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित किया गया।
जबरन निकाह कराने को नहीं दी जा सकती जमानत
यह मामला भी उसी तरह का लगता है। अधिनियम के अनुसार जबरन निकाह कराने के कारण याची धर्म परिवर्तित कराने वाला माना जाएगा और उसे जमानत नहीं दी जा सकती।
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