आगरा /प्रयागराज 14 नवंबर ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से की जा रही कई मामलों की जांच में देरी पर नाराजगी जताई है।
न्यायालय ने पाया कि सामान्यतः ईओडब्ल्यू की ओर से जांच किए जा रहे मामलों को वर्षों तक लंबित रखा जाता है। इस पर न्यायालय ने महानिदेशक ईओडब्ल्यू (प्रशांत कुमार-I) को 16 दिसंबर तक अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही यह स्पष्ट करने को कहा कि है कि जांचें क्यों लंबे समय से लंबित है ?
साथ ही इसके कारण, उत्तरदाई कर्मचारी तथा जांच के शीघ्र निपटारे के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता से इस आदेश से प्रदेश के डीजीपी को भी अवगत कराने को कहा है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने मोहम्मद हारुन की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
मामला मोहम्मद हारुन पर 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। आरोपी ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले की जांच लंबे समय से लंबित है।
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एक अन्य पीठ ने जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ तलब किया और निर्देश दिया कि उसका आदेश उत्तर प्रदेश के डीजीपी को सूचित किया जाए। इस वर्ष मार्च में न्यायालय ने राज्य को इस मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था।
न्यायमूर्ति समित गोपाल की बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए आया तो उन्होंने पाया कि राज्य सरकार अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। राज्य सरकार के वकील को भी यूपी डीजीपी के कार्यालय से कोई जवाब नहीं मिला।
न्यायालय ने पाया कि आर्थिक अपराध शाखा में जांच वर्षों तक लंबित रहती है। ।
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न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि अगली तारीख तक या सक्षम न्यायालय के समक्ष पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक जो भी पहले हो आवेदक की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे निजी मुचलके पर अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।
इसके साथ ही यूपी डीजीपी से भी हलफनामा मांगा है।
सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि नियत की है।
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