इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृषक की आकस्मिक मौत पर विधवा को मुआवजा देने के मामले पर जिलाधिकारी को आदेश पारित करने का दिया निर्देश

उच्च न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा/प्रयागराज ७ अप्रैल ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत मृतक किसान को मुआवजे का भुगतान करने में हाइपर तकनीकी का इस्तेमाल न कर योजना को सही ढंग से लागू करें।

इसी के साथ कोर्ट ने जिलाधिकारी चित्रकूट को दो हफ्ते में याची द्वारा नये सिरे से दाखिल अर्जी पर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डोनादी रमेश की खंडपीठ ने राजवतिया की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता जयदीप त्रिपाठी ने बहस की। याची विधवा है।पति की मौत बिजली के झटके के कारण मौत हो गई थी। उसने सरकारी शासनादेश के तहत मुआवजे की मांग में अर्जी दी।

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जिसे जिलाधिकारी ने खारिज कर दिया। 5 जून 24 के इस आदेश को चुनौती दी गई थी।याची अधिवक्ता का कहना था कि मृतक किसानी करता था, शत्रुघ्न का हलफनामा है। एक रिपोर्ट आई कि याची किसान नहीं था न ही कृषि कार्य करता था। जबकि वह खेती करता था।

याची की अर्जी तकनीकी आधार पर यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि आवेदन देने में 75 दिन की देरी की गई है। नियमानुसार तीन माह में अर्जी देनी चाहिए।

शासनादेश में कहा गया है कि तीन महीने की मियाद उचित स्पष्टीकरण होने पर तीन माह तक बढ़ाया जा सकता है।जिस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को नये सिरे से विचार कर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

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मनीष वर्मा
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