आगरा १५ जुलाई ।
आगरा के अछनेरा थाना क्षेत्र में दर्ज दलित उत्पीड़न और अन्य आरोपों के एक मामले में विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) ने आरोपी मुरारी पुत्र दर्याब सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
इस मामले में वादिनी की गवाही से पहले ही मृत्यु हो गई थी, और दो अन्य आरोपियों की भी विचारण के दौरान मौत हो गई। अभियोजन पक्ष मामले को सिद्ध करने में विफल रहा।
मामले के अनुसार, अछनेरा थाने में श्रीमती मनकी देवी पत्नी हाकिम निवासी ग्राम गुड़ा, किरावली ने तहरीर दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि दर्याब सिंह और उनके पुत्र लाखन व मुरारी (निवासी ग्राम मोरी, थाना अछनेरा) ने उनके ससुर करुआ के साथ मारपीट की, गाली-गलौज की और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया।
इसके अतिरिक्त, आरोपियों पर खेत से लाहा काटकर ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर ले जाने का भी आरोप था।
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इस तहरीर के आधार पर, आरोपियों के खिलाफ गाली-गलौज, मारपीट कर हड्डी तोड़ने और दलित उत्पीड़न के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।
विचारण के दौरान, आरोपी दर्याब सिंह और लाखन की मृत्यु हो जाने के कारण अदालत ने उनके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी। वहीं, चोटिल करुआ (जिनके साथ मारपीट का आरोप था) की गवाही दर्ज होने से पहले ही मृत्यु हो गई, जिससे उनकी गवाही नहीं हो सकी। अन्य गवाहों के बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए गए।
अभियुक्त के अधिवक्ता चौधरी सुरेंद्र सिंह और भूपेंद्र सिंह के तर्कों को स्वीकार करते हुए, विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) ने आरोपी मुरारी को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
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