आगरा:
एसीपी ताज सुरक्षा और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवैध हिरासत और मारपीट के आरोपों के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने पुलिस उपायुक्त नगर से 28 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है। यह मामला ताजगंज क्षेत्र में एक व्यक्ति की हड्डी तोड़ने और अन्य दो लोगों को अवैध रूप से हिरासत में लेकर यातना देने से जुड़ा है।
क्या है पूरा मामला ?
आगरा के ताजगंज थाना क्षेत्र के करभना गांव निवासी कालीचरन ने अपने अधिवक्ताओं झम्मन सिंह और हिम्मत सिंह राजपूत के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।
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इस प्रार्थना पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि 24 अप्रैल, 2025 की शाम को एसीपी ताज सुरक्षा, ताजगंज थानाध्यक्ष, तोरा चौकी इंचार्ज, एकता चौकी इंचार्ज और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके भाई रामवीर को घर से उठाया।
आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने रामवीर के साथ बुरी तरह मारपीट की, जिससे उनका पैर टूट गया और शरीर पर भी गंभीर चोटें आईं।
कालीचरन के अनुसार, एसीपी ताज सुरक्षा ने बाद में अपनी गलती मानते हुए रामवीर के इलाज के लिए ₹5,000/- दिए और उन्हें अर्जुन नगर स्थित जावित्री देवी मेमोरियल हॉस्पिटल में भर्ती कराया। एसीपी ने उनसे इस मामले की शिकायत किसी से न करने का भी आग्रह किया था।
इसी दिन, 24 अप्रैल, 2025 की रात करीब 11:30 बजे, पुलिसकर्मियों ने मथुरा जिले के खामनी गांव से कालीचरन के भतीजे कृष्णा और राजवीर फौजी को भी पकड़ा। आरोप है कि इन दोनों को भी एकता चौकी ले जाकर यातनाएं दी गईं। इस मामले को लेकर पीड़ित पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की थी।

सीजेएम ने मांगी रिपोर्ट:
पीड़ित के इस प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने पुलिस उपायुक्त नगर से इस पूरे मामले पर 28 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, और अब देखना होगा कि इस पर आगे क्या कार्रवाई होती है।
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