आगरा, 18 जुलाई 2025 ।
आगरा की बाल न्यायालय (पॉक्सो अदालत)ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक किशोर को पांच वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
दोषी को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो Act) तहत यह सजा दी गई है। इसके अतिरिक्त, उस पर 20,000/- रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है, जिसे अदा न करने पर उसे छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला थाना सैंया, जिला आगरा से संबंधित है, जहां पुलिस द्वारा धारा 376 (2) (च) भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) और धारा 5एम/6 पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था। घटना 3 फरवरी 2020 की है, जब शाम करीब 5 बजे पांच वर्षीय पीड़िता अपने घर के पास बच्चों के साथ खेल रही थी।
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तभी पड़ोसी किशोर अपचारी उसे बहला-फुसलाकर गांव की पोखर के पास ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता रोती हुई घर की ओर आ रही थी, तभी उसकी बड़ी बहन उसे मिली और पूछने पर पीड़िता ने आपबीती बताई। अगले दिन, 4 फरवरी 2020 को, जब पीड़िता की मां उसे नहला रही थीं, तो उन्होंने उसके कपड़ों और नाजुक अंगों पर खून व चोट के निशान देखे।
पुरुष सदस्य की अनुपस्थिति के कारण तत्काल पुलिस को सूचना नहीं दी जा सकी। 5 फरवरी 2020 को जब पीड़िता के पिता काम से लौटे, तो उनकी पत्नी ने उन्हें सारी बात बताई, जिसके बाद उन्होंने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
न्यायिक प्रक्रिया:
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, विवेचना अधिकारी ने बयान, घटनास्थल का निरीक्षण और अन्य जांच प्रक्रियाओं को अंजाम दिया। किशोर न्याय बोर्ड, आगरा ने 6 नवंबर 2020 को घटना की तारीख पर दोषी की आयु 16 वर्ष 04 माह 13 दिन घोषित की थी।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के तहत शारीरिक एवं मानसिक परीक्षण के बाद, 4 जनवरी 2022 को किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी के विचारण को वयस्क के रूप में किए जाने के लिए बाल न्यायालय को मामला सौंप दिया था।
बाल न्यायालय ने दोषी के खिलाफ धारा 376(2)(च) आईपीसी और धारा 5एम/6 पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप तय किए। विचारण के दौरान, अभियोजन पक्ष की तरफ़ से एडीजीसी सुभाष गिरी और विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानिया ने पीड़िता, उसके माता-पिता, महिला कांस्टेबल, डॉक्टर और विवेचक सहित कई गवाहों का परीक्षण कराया।
इसके अतिरिक्त, 164 सीआरपीसी के तहत पीड़िता के बयान, तहरीरी रिपोर्ट, एफआईआर, मेडिकल रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट और घटनास्थल की तस्वीरें जैसे दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए और अदालत के समक्ष ठोस तर्क रखे ।
अभियुक्त किशोर अपचारी ने भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत अपने बयान में अभियोजन के आरोपों को गलत बताया और खुद को झूठा फंसाए जाने का दावा करते हुए निर्दोष होने की बात कही।
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न्यायालय का निर्णय:
न्यायाधीश बाल न्यायालय / अपर सत्र न्यायाधीश, न्यायालय संख्या 27, आगरा, माननीय सोनिका चौधरी ने दोषी किशोर अपचारी को दोषी ठहराते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20,000/- रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि यदि दोषी अर्थदंड की राशि जमा करता है, तो पूरी धनराशि पीड़िता को प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, दोषी द्वारा राजकीय संप्रेक्षण गृह, आगरा/जिला कारागार में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आगरा को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम 2020 के नियम-9(2) और धारा 357-क की उपधारा (2) के तहत पीड़िता को उचित मुआवजा मिले।
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