भाजपा सांसद कंगना रनौत के मामले में कोर्ट ने थाना न्यू आगरा से मांगी रिपोर्ट

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आगरा पुलिस को धारा 225 (1 )बीएनएसएस के तहत अपनी आख्या 20 दिन के अंदर करनी होगी पेश

आगरा 10 जनवरी ।

आगरा की स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए में भाजपा सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के मामले में विचाराधीन वाद में स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए माननीय अनुज कुमार सिंह ने थाना न्यू आगरा से रिपोर्ट मांगी है।

कोर्ट ने अपने आदेश में थाना न्यू आगरा प्रभारी को आदेश दिया है कि प्रस्तुत परिवाद रमाशंकर शर्मा एडवोकेट बनाम कंगना रनौत के मामले में अन्वेषण अंतर्गत धारा 225 (1) बीएनएसएस के तहत करते हुए अपनी आख्या 20 दिन के अंदर प्रस्तुत करें । कोर्ट ने यह भी आदेश किया है कि कार्यालय इस आदेश की कॉपी थाना न्यू आगरा को प्रेषित कर किया जाना सुनिश्चित करें । अगली सुनवाई के लिए 8 फरवरी 2025 की तिथि नियत कर दी है।

कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेखित किया है कि विद्वान अधिवक्ता को तलबी के बिंदु पर पूर्व में सुना जा चुका है । परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में कथन किया गया है ।रमाशंकर शर्मा एडवोकेट किसान परिवार में पैदा हुए हैं । वकालत से पूर्व 30 वर्ष तक कृषि कार्य भी किया है । दिनांक 27 अगस्त 2024 को वादी एवं साथी अधिवक्ताओं बी एस फौजदार, राम दत्त दिवाकर, राजेंद्र गुप्ता धीरज, आर एस मौर्य सहित तमाम साथियों ने दैनिक का अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण समाचार पत्रों में समाचार पढ़ा जिसमें हिमाचल प्रदेश मंडी से भाजपा सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा किसानों को प्रति बेहद अमर्यादित आपत्ति एवं अपमानजनक टिप्पणी की तथा कहा कि अगर किसान आंदोलन के दौरान भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो पंजाब में भी बांग्लादेश जैसे हालात पैदा हो जाते ।

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कंगना ने किसानों पर हत्याएं एवं दुष्कर्म के गंभीर आरोप लगाए। इस प्रकार देश के करोड़ों किसानों को अलगाव वादी तथा उग्रवादी होने का भी आरोप लगाया है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है तथा देश की सारी आबादी किसानों पर निर्भर है। किसान अथक मेहनत कर अनाज, दालें, सब्जी फल आदी पैदा करता है जिस पर सारा देश निर्भर है ।

सन 2020 में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा किसानों के विरुद्ध बनाए गए काले कानून के विरोध में लाखों किसानों ने अगस्त 2020 से लेकर दिसंबर 2021 तक करीब 13 महीने दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर एवं अपनी कुछ मांगों के लिए धरना प्रदर्शन किया था तथा 13 महीने बरसात ठंड तथा भीषण गर्मी में धरना दिया था । जिसमें करीब 750 किसानों की मृत्यु हो गई थी । तब केंद्र सरकार ने किसानों के विरुद्ध लगाए गए कानूनों को राजनीतिक नुकसान को देखते हुए वापस ले लिया था।

कंगना रनौत का यह पहला अक्षम्य अपराध नहीं है । इससे पूर्व भी कंगना रनौत ने करीब 2 वर्ष पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत का मजाक उड़ाते हुए खुलेआम अपमान करते हुए वक्तव्य दिया था कि गाल पर चांटा खाने से भीख मिलती है आजादी नहीं। भारत को असली आजादी 2014 में मिली जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई। 1947 में जो आजादी मिली थी वह गांधी जी को भीख के कटोरा अंग्रेजों ने दी थी ।

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इस प्रकार कंगना रनौत द्वारा देश के करोड़ों किसानों एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति अमर्यादित तथा अपमान जनक टिप्पणी करते हुए राष्ट्र द्रोह जैसा गंभीर अपराध किया है। कंगना रनौत के बयान से प्रार्थी व उसके तमाम साथियों एवं सारे देशवासियों को भारी अपमानजनक आघात लगा है । अपने आदेश में कोर्ट ने कथन किया है की वादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में दस्तावेज साक्ष्य के रूप में पुलिस आयुक्त आगरा को प्रेषित प्रार्थना पत्र 28 अगस्त 2024 की छाया प्रति एवं समाचार पत्र अमर उजाला, जागरण, हिंदुस्तान की मूल प्रति भी दाखिल की हैं।

अपने कथानक के समर्थन में धारा 200 सी आर पी सी बयान वादी द्वारा दिया गया । धारा 202 सीआरपीसी के तहत गवाह राजेंद्र गुप्ता धीरज एवं अजय किशोर सागर का भी बयान कराया गया ।

कोर्ट ने यह भी लिखा है कि विपक्षी मंडी हिमाचल प्रदेश की निवासी है अतः गुण दोष के आधार पर आदेश करने से पूर्व प्रस्तुत परिवाद में किए गए कथनों के संबंध में धारा 225 (1) बीएनएसएस के अंतर्गत उचित जांच करना उचित प्रतीत होता है । कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 8 फरवरी 2025 की तिथि नियत की है।

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विवेक कुमार जैन
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