आगरा ।
साल 2012 के एक हत्या और सबूत नष्ट करने के मामले में अदालत ने दो आरोपियों को बरी कर दिया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे-6) ने सबूतों की कमी के चलते दानवीर और वीरेंद्र (दोनों निवासी कचोरा, थाना अछनेरा) को इस मामले से दोषमुक्त कर दिया।
यह मामला 27 मार्च 2012 का है। अछनेरा थाने में वासुदेव सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके चचेरे भाई मुख्तयार को रात करीब 7:30 बजे किसी अज्ञात व्यक्ति का फोन आया था। मुख्तयार घर से यह कहकर निकले थे कि वह किसी से मिलने जा रहे हैं और उसके बाद वापस नहीं लौटे।
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अगले दिन, मुख्तयार का शव महावीर की बोरिंग के कुएं से बरामद हुआ। जांच में पता चला कि गला दबाकर उनकी हत्या की गई थी और फिर शव को सबूत मिटाने के उद्देश्य से कुएं में फेंक दिया गया था।
पुलिस ने बताया था कि मुख्तयार को आखिरी बार दो चश्मदीदों, दुली चंद और दीवान, ने खेत में देखा था। उन्होंने बताया कि मुख्तयार ने उनसे पानी मांगा था और बाद में उन्हें आरोपियों के साथ जाते हुए देखा गया था। इसी आधार पर पुलिस ने दानवीर और वीरेंद्र को हिरासत में लिया था।
पुलिस की विवेचना में यह भी सामने आया था कि आरोपी दानवीर और मृतक की पत्नी के बीच संबंध थे, जिसके कारण मुख्तयार और उनकी पत्नी के बीच अक्सर झगड़ा होता था।
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पुलिस ने दावा किया था कि घटना वाले दिन दानवीर ने मुख्तयार को फोन कर चुनौती दी थी, जिसके बाद मुख्तयार घर से निकले थे। पुलिस ने यह भी कहा था कि दानवीर और मुख्तयार की पत्नी के बीच 39 बार बात हुई थी।
हालांकि, अभियोजन पक्ष इस मामले में अदालत में अपने दावे साबित नहीं कर पाया। वे न तो घटना के चश्मदीद गवाहों को पेश कर सके और न ही आरोपियों और मृतक की पत्नी के बीच हुई बातचीत की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) को अदालत में साबित कर पाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता रामप्रकाश शर्मा और हर्षल राठौर की दलीलों को सुनने के बाद, एडीजे-6 ने सबूतों के अभाव में दोनों आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया।
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