आगरा/नई दिल्ली 10 दिसंबर ।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि आयुर्वेदिक/आयुष डॉक्टर मेडिकल डॉक्टरों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकते। शैक्षणिक योग्यता और संबंधित डिग्री पाठ्यक्रमों को प्रदान करने के मानक के बीच गुणात्मक अंतर को देखते हुए यह आदेश पारित किया गया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा,
“हम इस तथ्य से संतुष्ट हैं कि केरल राज्य में सेवारत आयुर्वेदिक या आयुष डॉक्टर, शैक्षणिक योग्यता और संबंधित डिग्री पाठ्यक्रमों को प्रदान करने के मानक में गुणात्मक अंतर को देखते हुए मेडिकल डॉक्टरों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकते।”
उपर्युक्त टिप्पणियां करते हुए खंडपीठ ने गुजरात राज्य और अन्य बनाम डॉ. पी.ए. भट्ट और अन्य में न्यायालय के पहले के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि एलोपैथी डॉक्टर और स्वदेशी मेडिकल के डॉक्टर समान काम करने वाले नहीं कहे जा सकते हैं, ताकि उन्हें समान वेतन मिले।
केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद और अन्य बनाम बिकर्तन दास और अन्य के मामले में लिए गए निर्णय का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के सीसीआरएएस का कोई कर्मचारी सिर्फ इसलिए आयुष डॉक्टरों के साथ रिटायरमेंट आयु में समानता की मांग करने का हकदार नहीं है, क्योंकि वह ओपीडी और आईपीडी रोगियों का इलाज करता है।
केस टाइटल: डॉ. सोलमन ए बनाम केरल राज्य
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साभार: लाइव लॉ
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