पॉक्सो एक्ट के आरोप में फंसा पुलिसकर्मी बरी, वादिनी पर कानूनी कार्रवाई के आदेश

न्यायालय मुख्य सुर्खियां

आगरा १७ जुलाई ।

दुराचार के प्रयास, धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपित हरियाणा पुलिस के कर्मी रवि कुमार पुत्र देशराज को साक्ष्य के अभाव में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने बरी कर दिया है।

हालांकि, अदालत ने मुकदमे के विचारण के दौरान अपने पूर्व बयानों से मुकरने वाली वादिनी, उसकी पुत्री और पति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

मामले का घटनाक्रम:

थाना हरीपर्वत में दर्ज मामले के अनुसार, वादिनी ने 25 सितंबर 2018 को तहरीर देकर आरोप लगाया था कि डीआईजी वूमेन सेल, पंचकूला, हरियाणा पुलिस में तैनात उनका रिश्तेदार रवि कुमार उनके घर आया था।

वादिनी के अनुसार, आरोपी ने उनके साथ अश्लील छेड़छाड़ की और विरोध करने पर रिवाल्वर निकालकर जान से मारने की धमकी देकर जबरन दुराचार किया। वादिनी ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उनकी अश्लील तस्वीरें खींचकर उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी देकर कई बार उनका यौन शोषण किया।

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इसके अतिरिक्त, वादिनी ने बताया कि 22 अक्टूबर 2018 की शाम को उनकी और उनके पति की अनुपस्थिति में आरोपी फिर से उनके घर आया और पानी मांगने के बहाने उनकी 16 वर्षीय पुत्री को पलंग पर गिराकर दुराचार का प्रयास किया।

वादिनी की पुत्री के रोने और चीखने पर उनके पुत्र के मौके पर आने से आरोपी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका। आरोपी ने उन्हें शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी दी।

1 दिसंबर 2018 को आरोपी दोबारा दबाव बनाने वादिनी के घर आया, जहां उसका फोन छूट गया, जिसे वादिनी ने पुलिस को सौंप दिया। वादिनी की तहरीर पर पुलिसकर्मी रवि कुमार के विरुद्ध दुराचार प्रयास, धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

जांच और अदालत की प्रक्रिया:

मुकदमे के विवेचक एस.आई. ब्रजपाल सिंह ने विवेचना के दौरान सीडीआर, व्हाट्सएप चैट, फोटोग्राफ, ऑडियो, वीडियो और जगाधरी, यमुना नगर के एस.ओ. तथा सम्राट होटल के मालिक के बयान जैसी जांच की।

इन साक्ष्यों के आधार पर उन्होंने वादिनी और आरोपी के बीच स्वेच्छा से प्रेम संबंध होने का निष्कर्ष निकालते हुए इस मामले में एफ.आर. (फाइनल रिपोर्ट) लगाकर अदालत में प्रेषित कर दी थी।

हालांकि, वादिनी की आपत्ति पर अदालत ने इस एफ.आर. को निरस्त कर दिया और मुकदमे के विचारण हेतु आरोपी को तलब करने के आदेश दिए थे।

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गवाहों का मुकरना और फैसला:

अभियोजन पक्ष की तरफ से इस मामले में वादिनी/पीड़िता संख्या 1, उसकी पुत्री (पीड़िता संख्या 2), वादिनी के पति, एस.आई. बिजेंद्र सिंह और तत्कालीन एस.पी. सौरभ दीक्षित को अदालत में गवाही के लिए पेश किया गया।

अदालत में गवाही के दौरान, वादिनी, उसकी पुत्री और पति अपने पूर्व बयानों से पूरी तरह मुकर गए और आरोपी को क्लीनचिट दे दी। आरोपी पुलिसकर्मी के अधिवक्ता अरुण तेहरिया और बी.एस. बघेल के तर्कों तथा साक्ष्य के अभाव को देखते हुए, विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने आरोपी को बरी करने के आदेश दिए।

इसके साथ ही, अदालत ने गवाही से मुकरकर झूठे साक्ष्य देने के आरोप में पॉक्सो एक्ट की धारा 22 के तहत वादिनी के विरुद्ध वाद दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं।

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विवेक कुमार जैन
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