आगरा 21 मई ।
अदालत के आदेशों का लगातार पालन न करने पर अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे) 13 माननीय महेश चंद्र वर्मा ने अछनेरा के थानाध्यक्ष के खिलाफ एक प्रकीर्ण वाद (Miscellaneous Case) दर्ज करने का आदेश दिया है। थानाध्यक्ष पर न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना और कर्तव्य में लापरवाही का आरोप है।
क्या है पूरा मामला ?
यह मामला वर्ष 2017 से लंबित एक हत्या और सबूत नष्ट करने के मुकदमे से जुड़ा है, जिसमें देवेंद्र, नेत्रपाल और इंद्रजीत आरोपी हैं। यह मुकदमा एडीजे 13 माननीय महेश चंद्र वर्मा की अदालत में विचाराधीन है। इस मुकदमे में विवेचक/निरीक्षक जगदंबा सिंह की गवाही होनी थी, लेकिन वह लंबे समय से अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे थे।
अदालत का धैर्य टूटा:
विवेचक जगदंबा सिंह की अनुपस्थिति के कारण अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और नोटिस जारी किए थे, जिनकी तामील की जिम्मेदारी थानाध्यक्ष अछनेरा को सौंपी गई थी। हालांकि, थानाध्यक्ष ने न तो वारंट और नोटिस की तामील कराई और न ही उन्हें बिना तामील कराए अदालत को वापस भेजा।
इस लापरवाही पर अदालत ने पहले भी थानाध्यक्ष को भविष्य के लिए सचेत किया था कि वे न्यायालय द्वारा जारी सभी समन, नोटिस और अन्य अधिपत्रों की तामील नियमानुसार सुनिश्चित करें, अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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चेतावनी के बावजूद लापरवाही जारी
इस चेतावनी के बावजूद, जब विवेचक जगदंबा सिंह के खिलाफ दोबारा गैर-जमानती वारंट और नोटिस जारी किए गए, तो थानाध्यक्ष अछनेरा ने उनकी विधिवत तामील नहीं कराई। बल्कि, उन्होंने गैर-जमानती वारंट पर यह अंकित किया कि उन्होंने गवाह/विवेचक जगदंबा सिंह से मोबाइल पर बात की है और गैर-जमानती वारंट व नोटिस उनके मोबाइल पर भेजे हैं।
अदालत का कड़ा रुख:
एडीजे 13 माननीय महेश चंद्र वर्मा ने थानाध्यक्ष अछनेरा के इस कृत्य को तामील कराने के ज्ञान की कमी और न्यायालय की अवमानना माना। अदालत ने कहा कि थानाध्यक्ष का यह कार्य पुलिस अधिनियम की धारा 23/29 के तहत भी दंडनीय अपराध है।
अदालत ने थानाध्यक्ष अछनेरा के खिलाफ विधिक कार्रवाई के लिए प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही, विवेचक जगदंबा सिंह के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट और नोटिस की तामील के लिए पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे किसी सक्षम पुलिस अधिकारी के माध्यम से गवाह पर तामील कराएं।
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