आगरा २७ मई ।
धोखाधड़ी, डकैती, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने के सात साल पुराने मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में, विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र माननीय दिनेश तिवारी ने विवेचक द्वारा प्रस्तुत एफ.आर. (फाइनल रिपोर्ट) को निरस्त कर दिया है।
अदालत ने पुलिस आयुक्त को मामले की निष्पक्ष और उचित विवेचना किसी अन्य सक्षम पुलिस अधिकारी से कराने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला वर्ष 2017 में श्रीमती संजू देवी पत्नी रवि कुमार (निवासी आनंद नगर, थाना सदर, हाल निवासी बोदला सिकंदरा, आवास विकास कॉलोनी, आगरा) द्वारा दर्ज कराया गया था। उन्होंने बसपा के पूर्व कद्दावर नेता सुनील चितौड़, देवेंद्र चिल्लू और अशोक पिप्पल सहित अन्य के विरुद्ध धोखाधड़ी, डकैती, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था।
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विवेचक द्वारा इस मामले में एफ.आर. लगाकर अदालत में प्रस्तुत करने पर, वादनी ने अपने अधिवक्ता श्याम सिंह कुशवाह के माध्यम से आपत्ति प्रस्तुत की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि थाने की पुलिस ने विपक्षियों से सांठगांठ कर बिना घटना का निरीक्षण किए और वादनी सहित अन्य गवाहों की गवाही लिए बिना ही एफ.आर. अदालत में प्रस्तुत कर दी। वादनी ने पुलिस पर अन्य गंभीर आरोप भी लगाए थे।
विशेष न्यायाधीश माननीय दिनेश तिवारी ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए विवेचक द्वारा प्रस्तुत एफ.आर. को निरस्त कर दिया है और मुकदमे की अग्रिम विवेचना कराने के लिए पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए हैं।
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