आगरा / नई दिल्ली 01 अक्टूबर।
रानी लक्ष्मी बाई का स्टैचू दिल्ली के शाही ईदगाह के पास पार्क में स्थापित किए जाने के मामले में विवाद इतना बढ़ा कि कोर्ट तक पहुंच गया लेकिन अब मामला निपटारे की दिशा में आगे बढ़ गया है।
दिल्ली के शाही ईदगाह के पास मौजूद पार्क में रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा स्थापित करने के मामले में विवाद हो गया था।
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इस पर हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मैनेजिंग कमेटी को फटकार लगाई है। इसके बाद कमेटी ने हाई कोर्ट से लिखित में माफी मांगी।हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह कमेटी के माफीनामे को स्वीकार कर लिया है।

कमेटी के वकील ने कहा कि संशोधित याचिका दाखिल कर रहे हैं। इस केस में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पार्क को डीडीए की संपत्ति कहा था। इसके खिलाफ ईदगाह कमेटी डबल बेंच पहुंच गई थी।
उसकी याचिका में सांप्रदायिक भाषा के इस्तेमाल पर डबल बेंच ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद यह माफीनामा दाखिल हुआ था। ईदगाह-डीडीए मामले में अगली सुनवाई हाई कोर्ट में 4 अक्टूबर (शुक्रवार) को होगी।
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कोर्ट ने सुनाई थी खरी-खरी
हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति से नमाज पढ़ने में क्या दिक्कत आ रही है ?
रानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक हस्ती नहीं है। वह राष्ट्रीय नायिका हैं। हम 1857 की लड़ाई को नहीं भूल सकते।
कोर्ट ने लिखित में माफी मांगने का निर्देश दिया था।
हाई कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा था कि डीडीए की जमीन पर रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा लगाई जाएगी और उस जमीन से ईदगाह का कोई लेनादेना नहीं है। बता दें कि प्रतिमा रानी झांसी फ्लाईओवर के पास गोल चक्कर पर लगी है। इसे लक्ष्मी बाई स्मारक समिति ने लगाया था।

वक्फ बोर्ड ने पेश किया था अपना दावा
डीडीए के पार्क पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा पेश किया था और कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने पार्क में काम पर 19 सितंबर तक रोक लगा दी थी।
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हालांकि बाद में फैसला डीडीए के पक्ष में आया। कोर्ट के आदेश के बाद काम शुरू कर दिया गया।
समिति के सदस्य गुलशन राय वीरमानी ने कहा कि एमसीडी और डीडीए के सहयोग से यह काम करवाया जाएगा।
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साभार: ऐबीपी लाइव
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