पुरातत्व विभाग, आगरा विकास प्राधिकरण आदि को बनाया प्रतिवादी
उर्स मामले मे वादी उमेश चन्द वर्मा एवं दो गवाह निखिल प्रताप सिंह एवं संजय बंसल के बयान हो चुके हैं अदालत में दर्ज
सीजेएम आगरा ने प्रकरण की जांच कर 12 दिसम्बर तक थानाध्यक्ष ताजगंज से तलब की है आख्या
आगरा 04 दिसम्बर ।
ताज महल में शाहजहां के उर्स के दौरान अनियंत्रित भीड़ द्वारा स्मारक को नुकसान पहुंचाने, स्मारक में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि पर रोक के बाद भी उर्स की अनुमति देने के विरोध स्वरूप प्रस्तुत मामले में सीजेएम आगरा माननीय अचल प्रताप सिंह ने थानाध्यक्ष ताजगंज से प्रकरण की जांच कर 12 दिसम्बर तक आख्या अदालत में प्रस्तुत करने के आदेश दिये हैं ।
मामलें के अनुसार वादी मुकदमा उमेश चन्द वर्मा नें अपने अधिवक्ता मोती सिंह सिकरवार के माध्यम से सीजेएम की अदालत में डॉ. राजकुमार पटेल (पुरातत्व अधिकारी), आगरा विकास प्राधिकरण एवं निदेशक पुरातत्व विभाग नई दिल्ली को प्रतिवादी बना परिवाद प्रस्तुत कर आरोप लगाया था कि ताज महल पर किसी भी प्रकार
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की धार्मिक गतिविधि उर्स एवं नमाज पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध कें बाबजूद अधीक्षण पुरातत्व विद कार्यालय आगरा ने ताज महल में तीन दिन के उर्स हेतु आयोजकों को अनुमति प्रदान कर ताजमहल को पर्यटकों एवं नमाजियों कें लियें निशुल्क प्रवेश घोषित किया गया।जिससे लाखों की भीड़ ताजमहल में घुस गई ।सुरक्षा कर्मियों के नियंत्रण

से बाहर हुई भीड़ नें ताजमहल में जमकर तोड़फोड़ की । विभाग के गलत निर्णय से ताजमहल को तो नुकसान पहुंचा ही अपितु सरकार को भी राजस्व की हानि हुई।
वादी उमेश चन्द वर्मा ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं के अतिरिक्त अपने गवाह के रूप में निखिल प्रताप सिंह एवं संजय बंसल को अदालत में पेश किया।
जिस पर सीजेएम माननीय अचल प्रताप सिंह ने प्रस्तुत प्रकरण में धारा 202 की उप धारा 1 द.प्र.स. के तहत पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी से जांच अन्वेषण कराये जाने का पर्याप्त आधार पाते हुये थानाध्यक्ष ताजगंज को परिवाद मे किये गयें कथनों की जांच कर जांच आख्या 12 दिसम्बर तक अदालत में प्रस्तुत करने के आदेश दिये है ।
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