वर्ष 2005 में विद्युत विभाग की टीम नें व्यवसायी कें प्रतिष्ठान पर की थी चेकिंग
विद्युत चोरी का आरोप लगा 3,80,581/- रुपये का किया था राजस्व निर्धारण
वर्ष 2005 में चेकिंग का मुकदमा वर्ष 2006 में किया प्रस्तुत
विभाग ने विलंब का नहीँ दिया स्पष्टीकरण
20अप्रेल 2005 को चेकिंग की गई थीं तब कोई अनियमितता नहीँ पाई गई थीं
जांच हेतु मीटर प्रयोगशाला नहीँ भेजा, ना ही कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की
घटना की वीडियोग्राफी एवं फोटो भी अदालत में नहीँ की पेश
आरोपी व्यवसायी ने कोई भी बकाया शेष नहीं होने के सबूत भी कियें पेश
आगरा 03 जनवरी ।
विद्युत चोरी के मामलें में आरोपित ए.पी.इड्रस्ट्रीज यमुना ब्रज, स्टेशन रोड के मालिक प्रवीन कुमार गोयल पुत्र अशोक कुमार गोयल को विशेष न्यायाधीश आर्थिक अपराध (ई.सी.एक्ट) माननीय दिनेश तिवारी ने बरी करने के आदेश दिये।
मामले के अनुसार वादी मुकदमा उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के उप क्षेत्रीय अधिकारी एम.सी. शर्मा ने अदालत में परिवाद दायर कर आरोप लगाया कि 6 मई 2005 को विद्युत विभाग के अधिकारियों की टीम ने आरोपी प्रवीन कुमार गोयल की ए.पी. इड्रस्ट्रीज आगरा की विद्युत चेकिंग की गई तो पाया कि आरोपी ने अपनें मीटर की टीटीवी सील के पीछें शॉर्ट सर्किट कर एक अन्य मीटर की डिवाइस लगा मीटर को बाधित एवं उसकी सील तोड़ कर विद्युत चोरी कर रहे थे ।
संपूर्ण घटना क्रम की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी कर विद्युत विच्छेदन की कार्यवाही अमल में ला मीटर कब्जे में ले मौकें पर ही चेकिंग रिपोर्ट तैयार कर 3,80,581/- रुपयें की विद्युत चोरी का राजस्व निर्धारण किया गया ।
मुकदमे के विचारण कें दौरान वादी एम.सी.शर्मा, अधिशासी अभियंता एस.पी.सिंह, कार्यकारी सहायक, रीतेश श्रीवास्तव को गवाही हेतु अदालत में पेश किया। आरोपी के अधिवक्ता विनोद कुमार राजपूत नें तर्क दियें की 6 मई 2005 को की गई चेकिंग का मुकदमा 7 मार्च 2006 को विभाग द्वारा अदालत में प्रस्तुत कर विलंब का कोई समुचित कारण नहीँ दर्शाया।
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20 अप्रेल 2005 को भी आरोपी कें प्रतिष्ठान पर विद्युत विभाग द्वारा चेकिंग की गई थीं उस दौरान मीटर की सील सही पाई गई मीटर की रीडिंग भी सही पाई गई। विभाग ने उक्त तथ्य को अदालत में उजागर नहीं किया। विभाग द्वारा जप्त मीटर को प्रयोगशाला में भेज कर तो कोई जांच नहीं कराई ।
नाही इस बाबत कोई जांच रिपोर्ट अदालत में प्रेषित की गई। मौके की वीडियोग्राफी एवं फोटो ग्राफी का कथन कर कोई सबूत अदालत में नहीँ पेश किया गया।आरोपी की तरफ से कोई भी बकाया शेष नहीं होनें के सबूत भी अदालत में पेश करनें पर अदालत नें आरोपी को बरी करने के आदेश दिए ।
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