इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि वकीलों की हड़ताल के दौरान भी जजों को काम जारी रखना चाहिए

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अगर वादी बहस करना चाहते हैं तो उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करें

आगरा /प्रयागराज 12 दिसम्बर ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़े शब्दों में आदेश जारी करते हुए चिंता व्यक्त की कि वादी अपनी शिकायतों के लिए वैधानिक उपचार उपलब्ध होने के बावजूद वकीलों की हड़ताल के कारण अदालतों में राहत से वंचित हो रहे हैं।

जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने कहा,

“मुझे यह जानकर डर लग रहा है कि वादी वैधानिक उपचार उपलब्ध होने के बावजूद अदालतों से न्याय नहीं पा रहे हैं। उन्हें केवल इस कारण से इस न्यायालय में आवेदन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि संबंधित जिले में वकीलों की हड़ताल है।”

एकल जज ने कहा कि अगर वकील हड़ताल करते हैं तो भी न्यायिक अधिकारियों को अपना न्यायिक कार्य करना चाहिए। अगर वादी अपने मामलों पर बहस करना चाहते हैं तो जिला प्रशासन को जिला जज के परामर्श से उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।

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न्यायालय ने कहा,

“हड़ताल पर बैठे वकीलों के लिए किसी को भी उपाय-रहित नहीं बनाया जा सकता। न्यायालय का यह भी मानना है कि कोई भी वकील न्यायिक अधिकारी को न्यायिक कार्य करने से नहीं रोक सकता और न ही वकील किसी भी वादी को न्यायालय में प्रवेश करने से रोक सकते हैं।”

न्यायालय ने यह टिप्पणी आशुतोष कुमार पाठक द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए की, जिसमें मकान मालिक-प्रतिवादी के पक्ष में रिहाई देने के आदेश को चुनौती दी गई।

हालांकि, न्यायालय ने कहा कि उनके पास यू.पी. शहरी परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 की धारा 35 के तहत अपील दायर करने के वैकल्पिक उपाय का लाभ उठाने का अवसर था।

जवाब में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यदि वह अधिनियम के तहत अपील दायर करते हैं तो उनके लिए न्याय पाना मुश्किल होगा, क्योंकि गाजियाबाद जिले में वकील हड़ताल पर हैं।

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इस दलील को ध्यान में रखते हुए जस्टिस कुमार ने यह टिप्पणी करते हुए कि न्यायिक अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, भले ही वकील हड़ताल पर हों इस बात पर जोर दिया कि वकील महान पेशे से संबंधित हैं। उनसे कभी यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे वादियों को अदालत में प्रवेश करने से रोकेंगे।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता को राहत देते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि वह किराया न्यायाधिकरण के समक्ष वैधानिक अपील करता है तो न्यायाधिकरण के पीठासीन न्यायाधीश वकीलों द्वारा किसी भी हड़ताल के बावजूद, सुनवाई के एक सप्ताह के भीतर दायर स्थगन आवेदन पर आदेश पारित करेंगे।

तदनुसार, याचिका का निपटारा किया गया।

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साभार: लाइव लॉ

विवेक कुमार जैन
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