आगरा/प्रयागराज १७ अप्रैल ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के चर्चित प्रियंका हत्या केस के आरोपियों को संदेह से परे अपराध साबित न हो पाने के कारण बरी कर दिया है। वर्ष 2013 में मेरठ जिले के भवानपुर थाना क्षेत्र में प्रियंका की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। भाई मोहित सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें ललित चौहान और उसके परिवारजनों पर दहेज हत्या का आरोप लगाया गया था।
सत्र न्यायालय ने वर्ष 2020 में ललित चौहान को धारा 302 आईपीसी के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की गई थी।
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अभियोजन पक्ष के चार मुख्य गवाह – मृतका के भाई, माता-पिता और बहन – सभी अपने पहले दिए गए बयान से मुकर गए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न तो दहेज की कोई मांग की गई थी और न ही किसी प्रकार की प्रताड़ना हुई थी। इसके अलावा किसी ने हत्या को होते हुए नहीं देखा और न ही यह साबित हुआ कि घटना के समय केवल आरोपी ही घर में मौजूद था।
कोर्ट ने पाया कि अभियोजन द्वारा परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी पर्याप्त रूप से प्रस्तुत नहीं किए गए और न ही भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 लागू करने की उचित स्थिति बनी। इसलिए, संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने ललित चौहान को दोषमुक्त कर दिया और उसे रिहा करने का आदेश दिया।
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