कोर्ट ने कहा एक मात्र चश्मदीद की गवाही में विरोधाभास पर नहीं हो सकती सजा
यांत्रिक तरीके से रिकार्ड जुर्म स्वीकारोक्ति का बयान स्वीकार्य नहीं
आगरा / प्रयागराज 24 सितंबर।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है की एकमात्र चश्मदीद गवाह के बयान पर सजा का आदेश तभी दिया जा सकता है जब उसकी गवाही पूरी तरह से विश्वसनीय हो। चश्मदीद गवाह के बयान में विरोधाभास उसकी घटनास्थल पर उपस्थित को संदिग्ध बनता है।
ऐसी स्थिति में एकमात्र गवाह के बयान पर सजा नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कानपुर नगर के सीपई थाना क्षेत्र में वर्ष 2001 में हुई हत्या की घटना में उम्र कैद की सजा पाए नौ अभियुक्तों को दोष मुक्त करते हुए सजा से बरी कर दिया है।

अभियुक्त झंडे यादव उर्फ शिवकुमार सहित अन्य नौ अभियुक्तो की अपील पर न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति समिति गोपाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया ।
अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता आशुतोष कुमार पांडे ने बहस की। सजा का फैसला रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को नजर अंदाज किया।
Also Read – इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज 24 सितंबर को होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाइयां
अभियुक्तों द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत की गई जुर्म स्वीकारोक्ति को इसलिए महत्व नहीं दिया जा सकता है क्योंकि मजिस्ट्रेट ने अभियुक्तों का बयान रिकॉर्ड करने से पूर्व उनको इसके परिणाम की चेतावनी नहीं दी थी। न हीं उन्हें यह समझाया था कि यह बयान उनके खिलाफ पढ़ा जा सकता है ।
उन्हें इस पर सोचने का मौका नहीं दिया गया और बयान को यांत्रिक तरीके से रिकॉर्ड किया गया। मामले के अनुसार वादी मुकदमा बाबू यादव ने 10 जुलाई 2001 को लाली सिंह, वीरेंद्र, झंडे यादव, चुल्लू यादव, घनश्याम सिंह, जयकरण सिंह, झल्लर सिंह, शिवनाथ यादव, इंद्र बहादुर सिंह आदि के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी ।
आरोप है कि इन लोगों ने घटना वाली रात उसके बेटे आजाद जो की अपने ट्यूबवेल पर सोया था की रात लगभग 11 बजे गोली और धारदार हथियारों से मारकर हत्या कर दी थी।
Also Read – उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं के काम की खबर
वादी का कहना था कि वह घटनास्थल पर मौजूद था और उसने अभियुक्तों को हत्या करते हुए देखा। मगर उसकी गवाही और प्रति परीक्षण में दिए गए बयानों में कई विरोधाभास थे।

ट्रायल कोर्ट ने 15 अप्रैल 2015 को अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुना दी। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी।
Stay Updated With Latest News Join Our WhatsApp – Group Bulletin & Channel Bulletin
- विधायक जाहिद बेग की पत्नी की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित - September 22, 2025
- भदोही विधायक की पत्नी सीमा बेग को इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंतरिम राहत - September 16, 2025
- आजम खान के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई 9 अक्टूबर तक टाली - September 16, 2025






