आगरा कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के तत्वाधान में कलेक्ट्रेट परिसर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 26 सितंबर को काला दिवस के रूप में मनाते हुए न्यायिक कार्य से दूर रहने रहकर अपना विरोध प्रकट किया।
जैसा कि सर्व विदित है आगरा के वकील दशकों से हाई कोर्ट की मांग कर रहे थे । जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट में भी आगरा में हाई कोर्ट की खंड पीठ की स्थापना किया जाने की संतुति की गई थी।
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इसी मांग के लिए लिए 26 सितंबर 2001 को सिविल कोर्ट परिसर में शांतिपूर्ण आंदोलन किया गया था। आगरा प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने उस दिन एक ऐसा काला आदेश लाठीचार्ज का दिया, जिसमें कई जज, मजिस्ट्रेट और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। क्रूर लाठीचार्ज के खिलाफ वकीलों के विरोध के बाद, यूपी सरकार ने घटना की जांच के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गिरधर मालवीय आयोग का गठन किया।
न्यायिक आयोग द्वारा की गई सिफारिश के बावजूद, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और इस तरह, आगरा में वकील उस क्रूर कृत्य की निंदा करने के लिए हर साल 26 सितंबर को काला दिवस मनाते हैं।

कलेक्ट्रेट बार आगरा के सदस्यों ने आपसी सहमति से दिनांक 26.09.24 को किसी भी न्यायिक/न्यायालयीन कार्य से दूर रहने रहने का निर्णय लेकर अपना विरोध प्रदर्शित किया।
एसोसिएशन की बैठक अध्यक्ष एडवोकेट ब्रजेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई जिसका संचालन महासचिव एडवोकेट लोकेन्द्र शर्मा ने किया। इस बैठक में पीठासीन अधिकारियों से अनुरोध किया गया कि किसी भी अधिवक्ता की अनुपस्थिति में कोई भी विपरीत आदेश पारित न करें। लेकिन यदि कहीं एकपक्षीय, दोनों पक्ष या अधिवक्ता उपस्थित हों, तो उस स्थिति में पीठासीन अधिकारी विधिनुसार आदेश पारित करें।
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इस बैठक में सुभाष चतुर्वेदी, एस.के.शुक्ला, आर.डी.कुशवाह, पी.के. जैन, वी.पी. गुप्ता, पी.के. रावत, रोहताश शर्मा, बलबीर सिंह, हरिमोहन गौतम, नरेंद्र शर्मा, शिव सिंह सिकरवार, हेमेन्द्र कुलश्रेष्ठ, एमएस भदौरिया, जयसिंह चौहान, आर.बी. मंगल, एस.एम.तोमर, सुरेंद्र सिंह, शैलराज सिंह, जी.डी.माहौर, पी के गौतम, विनोद पांडे, मनोज शाक्य, अशफाक बेग, के.आर. कमलेश, पवन शर्मा, आर.के. गुप्ता, बी.एस. नोहवार, डी.एस. तोमर, अश्वनी रावत, रोहित नौहवार, वसीम बेग, शुभम गुप्ता, उत्कर्ष मुडोतिया आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहें।
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