आगरा २८ मई ।
आगरा के सिकंदरा स्थित पनवारी गांव में 35 साल पहले हुए जातीय संघर्ष और दंगे के मामले में एक बड़ा फैसला आया है। अदालत ने बुधवार को इस बहुचर्चित ‘पनवारी कांड’ में 35 आरोपियों को दोषी करार दिया है।
इन दोषियों को 30 मई को सजा सुनाई जाएगी। हालांकि, इसी मामले में फतेहपुर सीकरी से भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल को 2022 में ही बरी कर दिया गया था, जबकि 15 अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया गया है।
यह मामला 21 जून 1990 का है, जब पनवारी गांव में चोखेलाल जाटव की बेटी की शादी थी। सदर के नगला पदमा से आई बारात जब रात में चढ़ने लगी, तो जाट समाज के लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे बारात रुक गई।
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अगले दिन पुलिस की मौजूदगी में बारात चढ़ाई जा रही थी, तभी पांच-छह हजार लोगों की भीड़ ने बारात को रोकने की कोशिश की, जिससे दंगा भड़क उठा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें सोनी राम जाट की मौत हो गई। इसके बाद गांव से लेकर शहर तक दंगा फैल गया, जिसके चलते पूरे आगरा में कर्फ्यू लगाना पड़ा था।
22 जून 1990 को सिकंदरा थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी ने छह हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एससी/एसटी एक्ट, लोक व्यवस्था भंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
इस मामले में कुल 21 गवाहों की गवाही हुई। पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में, फतेहपुर सीकरी से भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल को 2022 में बरी कर दिया गया था। बुधवार को एससी/एसटी कोर्ट के न्यायाधीश माननीय पुष्कर उपाध्याय की अदालत में सुनवाई हुई, जिसमें 35 आरोपियों को दोषी माना गया और 15 को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
अब सभी की निगाहें 30 मई पर टिकी हैं, जब दोषियों के लिए दंड की मात्रा पर सुनवाई होगी और उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
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