आगरा उपभोक्ता आयोग प्रथम ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को दिया आदेश कि चोरी हुई कार के लिए ग्राहक को दें 6.85 लाख रुपये

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आगरा।

आगरा के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-प्रथम के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह द्वारा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को एक ग्राहक की चोरी हुई कार का बीमा क्लेम देने का आदेश दिया है।

यह निर्णय संजीव कुमार उपाध्याय द्वारा दायर किए गए एक परिवाद पर आया, जिनकी मारुति विटारा ब्रेजा कार चोरी हो गई थी और बीमा कंपनी ने उनका क्लेम खारिज कर दिया था।

मामले का विवरण:

संजीव कुमार उपाध्याय, निवासी शारदा विहार, दयालबाग, आगरा, ने अपनी कार मारुति विटारा ब्रेजा (पंजीकरण संख्या UP 80 FV 3538) का बीमा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से कराया था।

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21 फरवरी 2022 की रात को, यह कार गोयल सिटी अस्पताल, ट्रांस यमुना के बाहर से चोरी हो गई। उपाध्याय ने तुरंत पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई और बीमा कंपनी को भी सूचना दी।

बीमा कंपनी ने सर्वेयर भोला एंड एसोसिएट्स को मामले की जांच के लिए नियुक्त किया। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कार की इग्निशन चाबी वाहन के अंदर थी, जिसे बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन मानते हुए क्लेम को खारिज करने की सिफारिश की गई।

ग्राहक की दलील:

संजीव कुमार उपाध्याय ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए आयोग के समक्ष अपनी दलील पेश की। उन्होंने बताया कि कार चोरी के समय लॉक थी और चोरों ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करके इसे अनलॉक किया था, जैसा कि सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट रूप से देखा गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी दूसरी चाबी क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उन्होंने उसे मेडिकल बैग में रखा था, जो कार के बूट स्पेस में था।

उन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में चोरों को कार को अनलॉक करने के लिए संघर्ष करते हुए देखा गया और इस पूरी चोरी में उन्हें लगभग 45 मिनट का समय लगा।

पुलिस जांच में भी मालिक की कोई लापरवाही नहीं पाई गई और कोर्ट ने भी पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। हालांकि, बीमा कंपनी ने इन महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए 10 दिसंबर 2022 को ही क्लेम अस्वीकृत कर दिया, जबकि कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट को बाद में, 23 अगस्त 2023 को स्वीकार किया था।

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आयोग का निर्णय:

आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें और प्रस्तुत किए गए सबूतों पर विचार किया। आयोग ने यह पाया कि बीमा कंपनी ने कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार किए बिना ही क्लेम खारिज कर दिया, जो कि ‘सेवा में कमी’ को दर्शाता है।

आयोग ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया कि वह संजीव कुमार उपाध्याय को बीमा राशि के रूप में 6,85,180/- रुपये का भुगतान करे। यह राशि कार के IDV (इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू) 7,61,311/- रुपये में से 10% की कटौती के बाद तय की गई है।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने बीमा कंपनी को 23 अप्रैल 2024 (परिवाद दर्ज करने की तिथि) से भुगतान की तिथि तक 6% वार्षिक साधारण ब्याज का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। यदि कंपनी इस आदेश का पालन करने में विफल रहती है, तो ब्याज दर बढ़कर 9% हो जाएगी।

कंपनी को ग्राहक को मानसिक पीड़ा के लिए 10,000/- रुपये और वाद व्यय के लिए 5,000/- रुपये का भी भुगतान करना होगा।

यह निर्णय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (प्रथम) द्वारा 11 सितंबर 2025 को सुनाया गया।

Attachment/Order/Judgement – sanjeev

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विवेक कुमार जैन
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